सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) विध्वंस मामले से जुड़े आपराधिक केस में लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत को फैसला देने की समयसीमा को 31 अगस्त तक बढ़ाया. 19 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने ट्रायल कोर्ट के जज को सबूत/ गवाह रिकॉर्ड करने के लिए छह महीने और 9 महीने में फैसला देने को कहा था. जिसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने इस साल 14 अप्रैल को अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए 24 मार्च की तारीख तय की थी.
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अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में सीबीआई की ओर से सभी गवाह पेश किए जा चुके हैं. आरोपियों की ओर से उनकी जिरह भी पूरी हो चुकी है. सीबीआई की ओर से इस मामले में कुल 351 गवाह पेश किए गए. मुख्य विवेचक एम नारायणन से लालकृष्ण आडवाणी व कल्याण सिंह समेत सभी आरोपियों की ओर से जिरह चल रही थी जो कि अप्रैल में पूरी हुई.
उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल 2017 को एक आदेश जारी कर इस मामले की सुनवाई दो साल में पूरी करने का आदेश दिया था, लेकिन तय मियाद में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. पिछले साल न्यायालय ने विशेष अदालत की अर्जी पर यह अवधि 9 महीने के लिए और बढ़ा दी थी. न्यायालय ने साथ ही यह भी आदेश दिया था कि अगले 6 माह में गवाहों को पेश करने की कार्यवाही पूरी कर ली जाए.
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उल्लेखनीय है कि 6 दिंसबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में कुल 49 मुकदमे दर्ज किए गए थे. उनमें से एक मुकदमा फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में थानाध्यक्ष प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरा मुकदमा दारोगा गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराया था. शेष 47 मुकदमे अलग-अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों तथा फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे. पांच अक्टूबर, 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इनमें से 17 की मौत हो चुकी है.
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