असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) जारी होने के बाद घुसपैठी लोगों को लेकर देश में एक अलग तरह की राजनीति शुरू हो गई है. असम एनआरसी का ड्राफ्ट जारी होने के बाद लिस्ट में 40 लाख लोगों के नाम नहीं आए थे लेकिन सरकार ने उन्हें भी अपने दावे और पहचान को साबित करने का समय दिया है, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह हर रैली में 'घुसपैठिये' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. शाह कह रहे हैं कि बीजेपी ने 40 लाख घुसपैठियों की पहचान की है जबकि उन लोगों की स्थानीयता का दावा पेश करना अभी बाकी है. तो क्या घुसपैठिए अब भारतीय राजनीति का एक नया सियासी पैंतरा है?
इसी मुद्दे पर आज आपके लोकप्रिय चैनल न्यूज नेशन पर शाम पांच बजे खास शो 'बड़ा सवाल' में बहस होगी. इस बहस में आप भी ट्विटर और फेसबुक के जरिए हिस्सा लेकर एंकर अजय कुमार और मेहमानों से अपने सवाल पूछ सकते हैं.
इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता प्रेम शुक्ला हमारे साथ जुड़ेंगे और इस पर अपनी राय देंगे. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे, विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमिक जमई, धर्म गुरु मौलाना अंसार रजा और अजय गौतम भी जुड़ेंगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अगर 2019 में उनकी सरकार फिर से बनती है तो पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा और घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा. तो क्या अब घुसपैठिए शब्द का इस्तेमाल बीजेपी चुनावी राजनीति के लिए कर रही है?
इस मुद्दे पर आप भी आज के शो में शामिल मेहमानों और विशेषज्ञों से राय सवाल पूछ सकते हैं. @NewsStateHindi के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर ट्वीट पूछिए अपने सवाल.
खबर आई कि पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी जारी करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कैंपेन चला रही है. हिंदुत्व के एजेंडे के बाद एनआरसी का मुद्दा उछालना कहां तक सही है?
असम एनआरसी का जिक्र करते हुए शाह ने भोपाल में कहा कि इनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाना है, मगर संसद में कांग्रेस ने काओं-काओं किया. इसके बावजूद बीजेपी ने तय किया है कि वह घुसपैठियों को निकालकर रहेगी.
Source : News Nation Bureau