दो दशकों बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज की वापसी पर सामरिक विशेषज्ञ जो आशंका जता रहे थे, वह सच होती दिख रही है. विशेषज्ञों ने तालिबान (Taliban) के आने पर बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात ए मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) को लेकर मोदी सरकार को आगाह किया था. बांग्लादेश (Bangladesh) का यह ऐसा आतंकी संगठन है, जिसे तालिबान ने ही खाद-पानी दिया. अब ढाका के पुलिस कमिश्नर ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि जेहादी मानसिकता रखने वाले बांग्लादेश के कुछ युवा भारत के रास्ते अफगानिस्तान जाना चाहते हैं. इनका लक्ष्य तालिबान के आतंकी लड़ाकू दस्ते में शामिल होना है. इस सूचना के प्राप्त होते ही सीमा सुरक्षा बल (BSF) को अतिरिक्त चौकसी बरतने का निर्देश दे दिया गया है. साथ ही देश की खुफिया भी अलर्ट हो गई है.
अफगान युद्ध से जुड़ी हैं जेएमबी की जड़ें
गौरतलब है कि जमात ए मुजाहिदीन की जड़ें अफगान युद्ध से जुड़ी हैं. अफगान लड़ाकों के ही प्रश्रय से जेएमबी का निर्माण हुआ था. इसी आतंकी संगठन ने इस सदी के पहले दशक में बांग्गादेश को आतंक की आग में झोंक दिया था. जेमबी का मकसद भी तालिबान से ही मिलता-जुलता है यानी दक्षिण एशिया में मध्ययुगीन काल की वापसी. दूसरे शब्दों में कहें तो शरिया और इस्लामिक कानूनों को कट्टरता के साथ लागू करना. ऐसे में जेएमबी को तालिबान राज से फिर से खाद-पानी मिलने की संभावना बढ़ गई है. कहना सही होगा कि भारत समेत बांग्लादेश के लिए यह बहुत बड़ी चिंता की बात है.
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भारतीय खुफिया भी अलर्ट मोड में
ढाका के पुलिस कमिश्नर शफीकुल इस्लाम की सूचना पर बीएसएफ दक्षिणी बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने अलर्ट जारी कर दिया है. एसएस गुलेरिया के मुताबिक बांग्लादेश के अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों को इस बारे में सारी उपलब्ध जानकारी मुहैया करा दी है. बांग्लादेश की खुफिया ने इनपुट दिया है कि अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी पर बांग्लादेश के कुछ आतंकी और कट्टरपंथी संगठनों में हलचल तेज हो गई है. इस हलचल को बढ़ावा देने का काम किया है तालिबान की ओर से बांग्लादेश के युवाओं से आतंकी संगठन में शामिल होने की अपील ने. खुफिया इनपुट के मुताबिक बांग्लादेश के ये युवा अतिवादी भारत के रास्ते तालिबान तक पहुंचने की फिराक में हैं.
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जेएमबी बांग्लादेश का चाहता है अफगानिस्तान बनाना
सामरिक जानकारों के मुताबिक जेएमबी के संस्थापक और अफगान युद्ध में लड़ चुके शेख अब्दुल रहमान को 2007 में बांग्लादेश में मार दिया गया था. फिर संगठन का नेतृत्व संभालने वाले मौलाना सैदुर रहमान को तीन साल बाद जेल की सजा हुई थी. अब सलाहुद्दीन अहमद संगठन की कमान संभाल रहा है और उसके भारत-बांग्लादेश सीमा के क्षेत्र में छिपे होने की आशंका है. गौरतलब है कि ऐसा खबरें सामने आई थीं कि 1990 के दशक में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में तालिबान ने लड़ाकों को शामिल किया था. इन बांग्लादेशी मूल के आतंकियों ने बीते पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथी विचारों को और विस्तार ही दिया है. उन दिनों इन लड़ाकों की अफगानिस्तान से वापसी पर बांग्लादेश की सड़कों पर सशस्त्र प्रदर्शन आम थे. इनमें नारे लगाते थे- 'आमरा सोबै होबो तालिबान, बांग्ला होबे अफगानिस्तान.' इसका अर्थ होता था कि हम सब तालिबान में शामिल होंगे, बांग्लादेश अफगानिस्तान बन जाएगा.
HIGHLIGHTS
- बांग्लादेश ने अपने युवाओं के तालिबानी लगाव से किया भारत को आगाह
- तालिबान राज से जमात ए मुजाहिदीन बांग्लादेश में फिर सिर उठा रहा
- शरिया के बर्बर इस्लामिक कानूनों का बड़ा पैरोकार है यह आतंकी संगठन