सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले की सुनवाई को 5 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया है. केंद्र सरकार ने इस मामले में अपना जवाह दाखिल करने के लिए कोर्ट से और समय मांगा है. केंद्र सरकार ने कहा की वह इस मामले में आरबीआई (RBI) से बातचीत कर रही है और बहुत जल्द कोई समाधान निकलेगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार एफिडेविट रखने के लिए केंद्र को 1 अक्टूबर तक का समय दिया है. जस्टिल अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.
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सोमवार को केंद्र सरकार की ओर पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कोर्ट से समय मांगते हुए कहा कि यह थोड़ा जटिल मसला है. कई आर्थिक मामले सामने आ रहे हैं. केंद्र का कहना है कि इस मामले में आरबीआई से बातचीत की जा रही है. इससे पहले 10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह का मौका देते हुए कहा था कि सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं.
क्या है मोरेटोरियम में
इस मोरेटोरियम में व्यवस्था है कि जो लोग अपनी EMI नहीं दे सकते हैं, उनके पास आगे के लिए अपनी EMI स्थगित करने का विकल्प होगा. जबकि याचिका करने वालों का कहना है कि इसका कोई फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है क्योंकि जो अपने EMI स्थगित कर रहे हैं तो उन्हें इस स्थगन की अवधि का पूरा ब्याज देना पड़ रहा है. सरकार का कहना है कि स्थगन की अवधि के ब्याज (जो चक्रवृद्धि के तौर पर है) को स्थगित करने से बैंको को भारी नुकसान होगा और कई बैंक बैठ जाएंगे. साथ ही जो लोग चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) दे चुके हैं उनको नुकसान होगा. सरकार कई बार इस पूरे मामले में RBI को आगे करके अपना पल्ला झड़ती भी नजर आई है.
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मोरेटोरियम का मकसद ब्याज माफ करना नहीं
सरकार और RBI की तरफ से दलील रखते हुए 10 सितंबर को तुषार मेहता कोर्ट में कहा था कि ब्याज पर छूट नहीं दे सकते हैं, लेकिन भुगतान का दबाव कम कर देंगे. मेहता ने कहा था कि बैंकिंग क्षेत्र (Banking Sector) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं लिया जा सकता.
Source : News Nation Bureau