राजस्थान के बाड़मेर जिले की रहने वाली 65 वर्षीय रेशमा का शव पाकिस्तान से भारत लाया गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
रेशमा की 25 जुलाई को पाकिस्तान में मौत हो गई थी। मानवता की भावना दिखाते हुए पाकिस्तानी रेंजरों ने मंगलवार को रेशमा का शव सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों को सौंप दिया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने दिवगंत आत्मा के लिए प्रार्थना की।
बाड़मेर प्रशासन के पीआरओ मदनलाल बारुपाल ने आईएएनएस को बताया कि पाकिस्तानी रेंजर एक एंबुलेंस में सीमा पर स्थित जीरो लाइन पर रेशमा के शव को लेकर आए, जहां आव्रजन औपचारिकताओं को पूरा किया गया और उसके बाद शव को उसके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया।
1992 से बंद मुनाबाओ सीमा को रेशमा का शव लाने के लिए मंगलवार को खोला गया। 1992 में अंतिम बार विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने पाकिस्तान जाने के लिए इस मार्ग का प्रयोग किया था।
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रेशमा के बेटे साहिब खान ने शव को लिया। बीएसएफ के अधिकारी, आव्रजन कर्मचारी, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी सीमा पर रेशमा का शव प्राप्त करने के लिए मौजूद थे। सीमा के गेट खोले गए और अपने देश में दफन होने की रेशमा की अंतिम इच्छा पूरी हुई।
बारुपाल ने कहा कि पाकिस्तान उच्चायोग ने सोमवार को रेशमा का शव भेजने को मंजूरी दी थी।
रेशमा बाड़मेर के अगासड़ी गांव की निवासी थीं। वह 30 जून को पाकिस्तान में अपनी बहन से मिलने गई थीं और 25 जुलाई को उनकी मौत हो गई।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने महिला के परिजनों से शव को लाने का वादा किया था। उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त को रेशमा के परिजनों की हर संभव मदद करने के लिए कहा था।
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Source : IANS