बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आरिज खान को आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि आरिज को 302 के तहत पहले ही दोषी करार दिया चुका है. कोर्ट के सामने सवाल ये था कि ये rarest of rare केस है या नहीं. कोर्ट ने 8 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि एनकाउंटर के वक्त आरिज खान मौके पर ही था और वो पुलिस की पकड़ से भाग निकला था. अदालत ने सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि उसने भागने से पहले पुलिसवालों पर भी फायरिंग की थी. आपको बता दें कि इसके पहले 8 मार्च को बहुचर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ से जुड़े केस में दिल्ली की साकेत अदालत ने Indian Mujahideen के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दे दिया था
इसके पहले 8 मार्च को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को आईपीसी की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 के तहत दोषी पाया था. कोर्ट ने आईएम के आतंकी को आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी करार दिया था. जिसके बाद कोर्ट ने 15 मार्च यानि आज के दिन आरिज खान को सजा की घोषणा का ऐलान करने की बात कही थी आपको बता दें कि लगभग एक दशक तक कथित तौर पर फरार रहने के बाद फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आरिज खान को गिरफ्तार किया था.
शहीद इंस्पेक्टर के परिजनों को मिलेगा 10 लाख का मुआवजाः सरकारी वकील
साकेत कोर्ट के बाहर सरकारी वकील ए टी अंसारी से जब आरिज खान को हुई सजा और मुआवजे के बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि 10 लाख शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा के परिजनों को मुआवजा भी देना होगा. बटला हाउस मामले में सीनियर ए टी अंसारी ने न्यूज नेशन से बातचीत करते हुए बताया कि अभी तक ये मुख्य सवाल बाकी है कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ रेयरेस्ट केटेगरी में कैसे आया, जबकि डिफेंस यह दलील देता रहा कि मोहन चंद शर्मा की मौत किस की गोली से हुई अभी तक यह भी साफ नहीं है.
आज हुई सज़ा पर जिरह की मुख्य बातें
बाटला हाउस एनकाउंटर में दोषी आरिज खान के मामले में जिरह के दौरान दिल्ली पुलिस की चार सबसे बड़ी दलीलें रखीं.
- आरिज़ खान के लिए फांसी की सज़ा की मांग करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा - ये क़ानून व्यवस्था कायम रखने की ज़िम्मेदारी का निर्वहन कर रहे पुलिस अधिकारी की जघन्य हत्या का केस है. सज़ा ऐसी हो जो नज़ीर बने.
- आपको बता दें कि दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, यूपी में हुई बम ब्लास्ट में भी आरिज़ खान का रोल रहा है. पर इसके बावजूद उसने पुलिसकर्मी को हत्या को अंजाम दिया. उसे अपनी करतूतों पर कोई अफसोस नहीं.
- आरिज़ को अपनी करतूतों पर कोई पछतावा नहीं। उसके सुधरने की कोई गुज़ाइश नहीं.
- बटला हाउस एनकाउंटर ने देश की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया। इस घटना के बाद पुलिस की सुरक्षा, उनके आत्मबल को लेकर सवाल उठे। आम जनता के मन में भी इस घटना ने डर पैदा किया.
आरिज के वकील ने दिया उम्र का हवाला
आरिज के वकील एमएस खान ने उसे बचाने के लिए एक और हथकंडा अपनाते हुए कहा कि अभी आरिज की उम्र कम है. वकीलों ने आरिज की कम उम्र का हवाला देते हुए अदालत से अपील की है कि उसे इस सजा में रियायत दी जाए. वकीलों ने कहा कि इस मामले में उसके सहआरोपी शहजाद को उम्रकैद की सज़ा मुक़र्रर हुई है. लिहाजा एक ही अपराध के लिए एक आरोप को उम्र कैद और दूसरे आरोपी को फांसी की सजा कैसे दी जा सकती है. वकीलों ने कहा कि आरिज़ को फांसी की सज़ा नहीं हो सकती है.
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2008 का है मामला
पुलिस का आरोप है कि दिल्ली में 13 सितंबर 2008 को पांच जगह बम धमाके हुए. इनमें 30 लोगों की जान गई व कई सारे लोग जख्मी हुए. इस मामले की जांच के दौरान पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली कि जामिया के बाटला इलाके में कुछ आतंकी छिपे हैं. पुलिसबल मौके पर पहुंचा. उस समय बाटला हाउस के उस फ्लैट में आरिज खान उर्फ जुनैद के साथ चार और लोग फ्लैट में मौजूद थे. वहां पुलिस वे आतंकियों मे मुठभेड़ हुई. दो आतंकी मौके पर मारे गए, जबकि तीन वहां से भागने में सफल रहे. इन्हीं में से एक था आरिज खान, जबकि दो अन्य आरोपी मोहम्मइद सैफ एवं जिशान गिरफ्तार कर लिए गए.
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इंसपेक्टर शहीद हो गए थे मुठभेड़ में
इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के होंनहार इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा आतंकियों की गोलियों का निशाना बने और शहीद हो गए थे. इस मामले में वर्ष 2013 में अदालत ने इंडियान मुजाहिदीन के आतंकी शहजाद अहमद को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. शहजाद की सजा के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है. गौरतलब है कि आरिज खान ने पिछले साल सितंबर में कोर्ट के सामने कहा था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है. पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव के समक्ष अंतिम दलील के दौरान उसने कहा था कि उस समय उसके फ्लैट से संबंधित होने या वहां उसकी उपस्थिति साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है. अदालत ने आठ साल पहले एक अन्य आतंकवादी शहजाद अहमद को मामले के सिलसिले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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कांग्रेस ने बताया था फर्जी
गौरतलब है कि इस मुठभेड़ को कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासत भी खूब हुई. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने आतंकियों के समर्थन में बेबाकी से बयान दिए थे और मुठभेड़ को फर्जी ठहराया था. राजनीतिक पंडितों के मुताबिक महज वोट बैंक की खातिर इस मामले में दुष्प्रचार का सहारा लिया, अब जब साकेत कोर्ट ने आरिज खान को इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की हत्या का दोषी माना है, तो तय है कि आने वाले दिनों में बाटला हाउस मुठभेड़ पर एक बार फिर राजनीति देखने में आएगी.
HIGHLIGHTS
- बाटला हाउस एनकाउंटर में आरिज खान को फांसी
- साकेत कोर्ट ने सुनाई आरिज को फांसी की सजा
- लगभग 10 साल तक फरार था आईएम का आतंकी