पश्चिमी दिल्ली के बवाना में शनिवार की रात एक फैक्ट्री में लगी आग की जांच अब क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है। इस हादसे में 17 मजदूर जिंदा जल गए थे जिसमें 10 महिलाएं भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में रविवार की सुबह फैक्ट्री के मालिक मनोज जैन को गिरफ्तार कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
दिल्ली औद्योगिक और बुनियादी विकास प्राधिकरण की शुरुआती जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि सिर्फ प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण के लिए अनुमति ली गई थी लेकिन वहां पैकिंग पटाखे के स्टॉक और पैकिंग का काम भी होने लगा था। विस्फोटक रखने के लिए इजाजत नहीं ली गई थी।
बवाना में इतनी बड़ी घटना के बाद दिल्ली में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। फैक्ट्री को लाइसेंस देने को लेकर दिल्ली सरकार जहां इसे एमसीडी पर आरोप लगा रही है वहीं एमसीडी इस हादसे का ठीकरा दिल्ली सरकार पर फोड़ रही है। गौरतलब है कि दिल्ली के तीनों निगमों पर बीजेपी का कब्जा है।
शनिवार की रात फैक्ट्री में जिंदा जल गए थे 17 मजदूर
स्टिक गोदाम में आग लगने से 17 लोग जिंदा जलकर खाक हो गए, जबकि कई लोग झुलस गए। मरने वालों में दस महिला कामगार भी शामिल है। 17 लोगों में से 13 लोगों की मौत पहली मंजिल पर, 3 ग्राउंड फ्लोर पर और एक की मौत बेसमेंट में हुई है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आगजनी की घटना के बाद जांच के आदेश दिये थे।
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शुरुआती जांच में शार्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आई थी जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि पटाखों की वजह से आग लगी थी।
गिरफ्तारी के बाद फैक्ट्री के मालिक मनोज जैन ने कहा था कि, 'वह होली और स्टेज पर इस्तेमाल होने वाले क्रैकर्स पैक करवाता था और इसके लिए किसी की लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है।'
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HIGHLIGHTS
- बवाना फैक्ट्री में आग हादसे की जांच क्राइम ब्रांच के हवाले
- शनिवार की रात फैक्ट्री में लगी थी आग, 17 लोगों की हो गई थी मौत
Source : News Nation Bureau