पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने से प्रशांत एशियाई क्षेत्रों में बदले समीकरण के बीच चीन के बढ़ते दखल के बाद भारत ने भी अपनी कूटनीति में बड़ा बदलाव किया है. इस कूटनीतिक बदलाव की एक झलक अगले साल गणतंत्र दिवस पर भी दिखाई देगी. केंद्र की मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अफगानिस्तान में चीन के बढ़ते दखल का ठोस जबाव देने के लिए मध्य एशियाई देशों के नेताओं को निमंत्रण देने की योजना बनाई है. गौरतलब है कि भारत खास मेहमानों को गणतंत्र दिवस की परेड में आमंत्रित करता है. इन देशों को गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित कर मोदी सरकार एक तीर से कई निशाने साधने की मंशा रखती है.
मध्य एशिया के हैं 5 देश
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल 26 जनवरी को मोदी सरकार ने आमंत्रित किए जाने वाले मेहमानों की सूची में पांच मध्य एशियाई देशों के नेताओं के नाम भी शामिल किए हैं. ये देश हैं कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान. इन्हें निमंत्रित करने का मकसद भारत के साथ निवेश और रक्षा सहयोग की दिशा में पुख्ता कदम बढ़ाना है. साथ ही ईरान के चाबहर बंदरगाह के जरिए मध्य एशिया से जुड़ाव की संभावनाओं भी बल देना है. इस घटनाक्रम की प्रस्तावित बैठक के बाद इस दिशा में मोदी सरकार अगला कदम बढ़ाएगी.
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निवेश और सुरक्षा के लिहाज से अहम हैं देश
गौरतलब है कि मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव 2009 के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए थे. इस दौरान दोनों देशों के बीच कजाकिस्तान से भारत को यूरेनियम सप्लाई का समझौता हुआ था. उसके बाद हाल ही में कजाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति के भारत दौरे से भी दोनों देशों के बीच संबंध मधुर हुए हैं. भारत के न्यूक्लियर प्लांट्स को यूरेनियम की सप्लाई को देखते हुए कजाकिस्तान की काफी अहमियत है. जाहिर है मध्य एशियाई देशों से भारत के अच्छे संबंध कई लिहाज से फायदेमंद रहेंगे. एक तो इससे आतंकवाद से लड़ाई में मदद मिलेगी. दूसरे रूस के साथ अच्छे संबंधों को भी यहां भुनाया जा सकेगा.
HIGHLIGHTS
- मध्य एशियाई पांच देशों को मेहमान बतौर निमंत्रित करेगी मोदी सरकार
- अफगानिस्तान में चीन के बढ़ते दखल का कूटनीतिक जवाब होगा कदम
- रक्षा और निवेश से जुड़े सहयोग के बल भारत बढ़ाएगा अपनी धमक