गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर दिल्ली को बंधक बनाने वाली ट्रैक्टर रैली के बाद कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान शनिवार को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम करने जा रहे हैं. इसको लेकर किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. दिल्ली (Delhi) को तो लगभग छावनी में ही बदल दिया गया है. यह अलग बात है कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) के राज्य सभा में दिए गए भाषण को ट्वीट किया है. साथ ही अपील की है कि इसको पहले जरूर सुन लिया जाए. देखा जाए तो एक तरह से कृषि कानूनों को लेकर फैलाये जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए पीएम मोदी की यह एक और पहल है. इसके पहले बजट सत्र से पहले वह किसानों को दो टूक संदेश दे चुके हैं कि कृषि किसानों को डेढ़-दो साल के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अभी भी किसान नेताओं के समक्ष है.
कृषि मंत्री श्री @nstomar जी ने राज्यसभा में कृषि सुधार कानूनों से जुड़े प्रत्येक पहलू को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। मेरा विनम्र निवेदन है कि उनकी यह स्पीच जरूर सुनें। https://t.co/OUFrW7BfKo
— Narendra Modi (@narendramodi) February 5, 2021
राज्यसभा में कृषि मंत्री ने कृषि कानून पर साफ की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लोगों से अपील की है कि राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दी गई स्पीच को अवश्य सुनें. पीएम ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि सुधार कानूनों से जुड़े प्रत्येक पहलू को लेकर विस्तार से जानकारी दी. मेरा विनम्र निवेदन है कि उनकी यह स्पीच जरूर सुनें. ट्वीट में पीएम मोदी ने एक यू-ट्यूब का लिंक भी शेयर किया है. केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के मसले पर शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में अपनी बात कही. कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार लगातार किसानों से बात करने में लगी हुई है. नरेंद्र सिंह तोमर इस दौरान विपक्ष पर जमकर बरसे. इसके साथ ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि सुधार कानूनों से जुड़े प्रत्येक पहलू को लेकर विस्तार से जानकारी दी.
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पूछा कानून में काला क्या
किसान आंदोलन पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विपक्ष सरकार को किसान आंदोलन के मुद्दे पर घेर रहा है और तीनों नए कानूनों को काला कानून बता रहा है, लेकिन इन कानूनों में 'काला' क्या है, कोई ये भी बताए. कृषि मंत्री बोले कि नए एक्ट के तहत किसान अपने सामान को कहीं भी बेच सकेगा. कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का एक्ट राज्य सरकार के टैक्स को खत्म करता है, लेकिन राज्य सरकार का कानून टैक्स देने की बात करता है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जो टैक्स लेना चाह रहा है, आंदोलन उनके खिलाफ होना चाहिए लेकिन यहां उल्टी गंगा बह रही है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पंजाब सरकार के एक्ट के मुताबिक अगर किसान कोई गलती करता है, तो किसान को सजा होगी, लेकिन केंद्र सरकार के एक्ट में ऐसी कोई बात नहीं है.
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कांग्रेस पर कृषि मंत्री ने बोला तीखा हमला
यही नहीं राज्यसभा में कृषि मंत्री बोले कि हमने किसान संगठनों के साथ 12 बार बात की, उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा और बार-बार यही कहा है कि आप क्या बदलाव चाहते हैं वो हमें बता दीजिए. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अगर हमारी सरकार कानून में बदलाव कर रही है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि कृषि कानून गलत है. कृषि मंत्री ने कहा कि सिर्फ एक राज्य के किसानों को बरगलाया जा रहा है, किसानों को डराया जा रहा है. खेती पानी से होती है, लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही है जो खून से खेती कर सकती है. केंद्र सरकार जो कानून लाई है, उसके मुताबिक किसान कभी भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से अलग हो सकता है. हालांकि यह अलग बात है कि बाद में नरेंद्र तोमर का खून से खेती वाला बयान कार्यवाही से हटा दिया गया.
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दीपेंद्र हुड्डा को दी कानून पढ़ कर आने की नसीहत
शुक्रवार को राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कांग्रेस के युवा सांसद दीपेंद्र हुड्डा पर भी भड़क उठे और उन्हें कृषि कानूनों पर अगली बार बहस करने से पहले पढ़कर आने की नसीहत दी. दरअसल, कृषि मंत्री तोमर ने कांट्रैक्ट फार्मिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों को राहत दी गई है कि वो कभी भी अनुबंध से बाहर निकल सकते हैं, जबकि पंजाब सरकार के कांट्रैक्ट फार्मिंग में अनुबंध तोड़ने पर किसानों पर जुर्माने और जेल भेजने की बात है. केंद्रीय मंत्री की इस बात पर दीपेंद्र हुड्डा ने बीच में ही उन्हें टोक दिया. इससे सदन काफी देर तक हल्ला होता रहा. उनमें और मंत्री के बीच बहस होती रही. हुड्डा ने कहा कि वो मंत्री के झूठ पर चुप नहीं बैठेंगे. बाद में कांग्रेस के सदन में नेता गुलाम नबी आजाद ने बीच-बचाव करते हुए स्थिति स्पष्ट की कि मंत्री पंजाब के कानून के बारे में कह रहे हैं, जबकि हुड्डा हरियाणा का कानून समझ रहे थे जो उनके पिता और तब के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में बनाया गया था. इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा तो शांत हो गए लेकिन कृषि मंत्री ने उन्हें नसीहत दे डाली.