पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्रीय बजट 2018-2019 में पेश किए नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एनएचपीएस) को वित्तीय सहायता नहीं देने की घोषणा की।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना और विश्व की सबसे बड़ी कही जाने वाली हेल्थकेयर प्रोग्राम से बंगाल किनारा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य अपने मेहनत से अर्जित संसाधनों को नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम में योगदान कर व्यर्थ नहीं करेगा। इस योजना की 40 फीसदी रकम (हिस्सेदारी) राज्यों को देनी है।
बंगाल के कृष्णानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, 'केंद्र ने ऐसा हेल्थ स्कीम तैयार किया है जिसमें राज्यों को 40 फीसदी रकम देनी होगी। लेकिन जब राज्य के पास पहले से इस तरह की स्कीम है तो दूसरी योजना पर क्यों खर्च करें। अगर हमारे पास संसाधन हैं तो हमारी अपनी योजनाएं हो।'
क्या है नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की घोषणा की जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की हेल्थ स्कीम की तर्ज पर 'मोदी केयर' बताया जा रहा है।
सरकार ने घोषणा की थी कि इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए हर साल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा। सरकार ने इसे विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना बताई थी और इससे करीब 50 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचाने का दावा किया गया था।
सरकार ने इस योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था जबकि अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस पर 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसलिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 40 फीसदी रकम खर्च करने को कहा था।
इसके अलावा ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर कई सारे फंड को रोकने और जनविरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया है और मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करने का आह्वान भी किया है।
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Source : News Nation Bureau