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विश्व जल दिवस : 'डे जीरो' के करीब पहुंचा बेंगलुरू, जल्द हो सकती है पानी की किल्लत

अध्ययन का मूल्यांकन है कि बेंगलुरू की 1.1 करोड़ की आबादी 2031 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, यहां पानी की खपत बढ़ रही है और भूजल स्तर गिर रहा है।

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Vineeta Mandal
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विश्व जल दिवस : 'डे जीरो' के करीब पहुंचा बेंगलुरू, जल्द हो सकती है पानी की किल्लत

विश्व जल दिवस 2018 (फाइल फोटो)

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भारत की सिलिकन वैली बेंगलुरू में अगर सरकार और प्रशासन जलाशयों को पुनर्जीवित करने और लुप्त होते जल संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान नहीं देती है तो यहां के पानी के नल जल्द ही सूख सकते हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञों ने गुरुवार को विश्व जल दिवस के मौके पर जल संरक्षण पर लोगों को ध्यान खींचते हुए यह बात कही है।

बेंगलुरू एनवायरमेंट ट्रस्ट (बीईटी) के अध्यक्ष ए.एन. येलप्पा रेड्डी ने बताया, 'यह शहर एक टाइम बम पर बैठा है जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। जिस तेजी से हम पानी की खपत कर रहे हैं और बोरवेल के जरिए भूजल का दुरुपयोग कर रहे हैं, इसकी वजह से जल स्तर पहले की तुलना में अत्यधिक तेजी से घट रहा है। अगर हमने अभी कदम नहीं उठाया तो हम जल्द ही पानी की कमी से जूझते नजर आएंगे।'

खुशनुमा और स्वास्थ्यप्रद मौसम के लिए मशहूर वर्ष 1970 तक पेंशनरों और बागानों के शहर कहे जाने वाले बेंगलुरू के लोगों की जरूरत पूरा करने के लिए हर घर के पीछे के कुओं, बोरवेलों और बारिश से लबालब हुईं झीलों, जलाशयों, तालाबों और टैंकों के जरिये पर्याप्त पानी हुआ करता था।

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सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कारोबार से जुड़े अन्य सेक्टरों के आने से शहर का 1980 के दशक में तेजी से विकास हुआ और 1990 के दशक तक इसने और अधिक रफ्तार पकड़ी। इसके बाद राज्य सरकार संचालित बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रोजाना शहर से 130 किलोमीटर की दूरी पर बहने वाली कावेरी नदी से शक्तिशाली पंपों से पानी को खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

राज्य सरकार के पर्यावरण और वन विभाग के पूर्व सचिव रेड्डी ने कहा कि अवैध निर्माण और भूमि अतिक्रमण के साथ शहर की लैंड इनफिल्ट्रेशन कैपेसिटी (किसी भी स्थिति में पानी के मिट्टी में प्रवेश करने की अधिकतम दर) के साथ छेड़छाड़ ने बारिश के पानी को मिट्टी में शामिल होने की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित किया।

पर्यावरणविद् ने अफसोस जताते हुए कहा, 'बेंगलुरु की लगभग 85 प्रतिशत जमीन पानी की निकासी अयोग्य हो गई है और रखरखाव में कमी ने बारिश के पानी के निकास (सड़कों से अतिरिक्त बारिश के पानी को निकालने के लिए निर्मित कृत्रिम निकास) मात्र सीवेज निकासी के माध्यम बनकर रह गए हैं।'

जल संकट से जूझ रहे इस शहर पर राज्य और केंद्र सरकार की 'उदासीनता' से प्राकृतिक संसाधन विलुप्त होते जा रहे हैं।

दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने बुधवार को अपनी 'डाउन टू अर्थ' पत्रिका के एक अध्ययन के हवाले से एक बयान में बेंगलुरु को विश्व के उन 10 शहरों में शामिल किया है जो 'डे जीरो' के करीब है यानी वह स्थिति जब इन शहरों के नलों से पानी दूर हो जाएगा।

यह आकलन गंभीर जल संकट झेल रहे दक्षिण अफ्रीका के सबसे अमीर शहरों में से एक केप टाउन पर दुनिया भर का ध्यान जाने के कुछ महीनों बाद आया है जो 'डे जीरो' के करीब है।

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2015 के बाद औसतन कम बारिश ने केप टाउन के जलाशयों को सुखा दिया जिससे उसके सामने अभूतपूर्व जल संकट खड़ा हो गया।

अध्ययन का मूल्यांकन है कि बेंगलुरू की 1.1 करोड़ की आबादी 2031 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, यहां पानी की खपत बढ़ रही है और भूजल स्तर गिर रहा है। ऐसे में शहर को जल्द ही 'डे जीरो' का सामना करना पड़ सकता है।

बेंगलुरू के मेयर आर. संपत राज ने शहर के जल संकट को महज अटकलें बताया है और कहा है कि शहर में पानी की कोई कमी नहीं है।

राज ने कहा, 'मुझे लगता है कि ये आकलन अटकलों पर आधारित हैं। जबकि मैं पानी की कमी पर लोगों का ध्यान देने और जागरूकता पैदा करने के विचारों की सराहना करता हूं। मैं बेंगलुरु के लोगों को आश्वस्त कर सकता हूं कि शहर इतनी जल्दी पानी के संकट से घिरने वाला नहीं है।'

बेंगलुरू के शहरी विकास मंत्री के.जे. जॉर्ज भी पहले कह चुके हैं कि शहर में कम से कम 2030 तक पानी की कोई समस्या नहीं होगी।

शहर के अधिकारियों का हालांकि संभावित जल संकट पर दृष्टिकोण थोड़ा अलग है और वह संभवत: इसे कम करने का इरादा रखते हैं। बैंगलोर पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (बीपीएसी) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेवती अशोक ने कहा कि जल संबंधित परियोजनाओं में प्रभावी कार्यान्वयन की कमी है।

रेवती के अनुसार, 'जब पानी की बात आती है तो बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत होती है। यहां वर्षा जल संग्रहण, सीवेज उपचार संयंत्र और झीलों के पुनरुद्धार के साथ ही वितरण के दौरान पानी की चोरी की जांच सुनिश्चित करना जरूरी है।'

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Source : IANS

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