5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत पर चेन्नई में डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी मौत की वजह का खुलासा किया।
जललिता के इलाज में शामिल डॉक्टरों की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ किया कि जयललिता को सबसे बेहतरीन इलाज दिया गया। लेकिन उन्हें बहुत ज्यादा डायबिटीज होने के कारण और शरीर के अंगों के काम बंद कर देने की वजह से बचाया नहीं जा सका।
जयललिता के इलाज में शामिल रहे यूके के डॉक्टर रिचर्ड बील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया उन्हें कुछ समय के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था और उससे उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हुआ था लेकिन फिर उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई।
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डॉ बील के मुताबिक जब बीमार होने के बाद सीएम जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उस वक्त उनकी हालत बेहतर थी और वो उस समय बात भी कर रही थी और दूसरों की बातों को भी समझ रही थीं। लेकिन अचानक से उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। डॉ बील ने साफ किया उनके किसी अंग का प्रत्यार्पण नहीं किया गया था।
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इससे पहले जयललिता की मौत पर ये अफवाह उड़ी थी की अपोलो अस्पताल उनकी मौत से जुड़ा कोई सच छुपा रहा है। कुछ लोगों ने अस्पताल पर जयललिता के इलाज में कोताही बरतने का भी आरोप लगाया था। कुछ लोगों से जयललिता की बीमारी से जुड़ी बातों को अपोलो अस्पताल की तरफ से सार्वजनिक किए जाने के लिए कोर्ट में याचिका भी दायर की थी।
जयललिता करीब 75 दिनों तक चेन्नई के अस्पताल में भर्ती रहीं थी जहां 5 दिसंबर को उन्होंने आखिरी सांस ली थी।
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Source : News Nation Bureau