बेटी बचाओ: महिला हिंसा के खिलाफ कानूनों की नहीं है कमी

भारत में महिलाओं के प्रति कानूनों की कमी नहीं है। इसके बावजूद अपराधों में कमी नहीं आई है। नेश्नल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो तकरीबन देश में 100 महिलाएं रोज़ बलात्कार का शिकार होती है।

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Shivani Bansal
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बेटी बचाओ: महिला हिंसा के खिलाफ कानूनों की नहीं है कमी

बेटी बचाओ: महिला हिंसा के खिलाफ कानूनों की नहीं है कमी

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे पर बात करना स्वाभाविक ही है। पीएम मोदी का यह नारा धरातल पर उतरना कितना कारगर और कितना मुश्किल है, इसकी बानगी मीडिया में महिलाओं के खिलाफ रोजाना आती अत्याचार की खबरों से पता चल ही जाती है।

निर्भया गैंगरेप से तो पूरी कानून-व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लग गए थे। यहां तक की सरकार को कानून तक में संशोधन करना पड़ा, लेकिन ऐसा कर देने भर से स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन आया हो ऐसा कतई नहीं कहा जा सकता। 

कानूनों की कमी नहीं

भारत में महिलाओं के प्रति कानूनों की कमी नहीं है। इसके बावजूद अपराधों में कमी नहीं आई है। नैश्नल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो तकरीबन देश में 100 महिलाएं रोज़ बलात्कार का शिकार होती है।

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इसमें सबसे ज़्यादा घटनाएं मध्यप्रदेश में हुई जहां 2013-14 के दौरान बलात्कार की घटनाओं में 358 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में रोज़ाना करीब 14 अपराध हुए थे। 

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में हत्याओं और अपहरण के सर्वाधिक मामले सामने आए जिसमें करीब 300 हत्याएं प्रेम संबंधों की वजह से हुई। 

एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 सालों में भारत में करीब ढाई लाख अपहरण हुए जो कि फिरौती के लिए नहीं बल्कि शादी की मांग के कारणों के चलते हुए। 

एक नज़र डालते हैं भारतीय दंड संहिता,1860 के तह्त महिलाओं के प्रति अपराध के खिलाफ बने अब तक के कानूनों पर।

किडनैपिंग/ अपहरण

धारा 360 के अंतर्गत 'अपहरण' टर्म है जिसमें भारत में किसी को उसकी या उसके माता-पिता/ कानूनी गार्जियन की मर्जी के बिना जबरन अपने साथ ले जाना अपहरण की श्रेणी में आता है।

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धारा 361 के अंदर 16 साल से कम के व्यक्ति और 18 साल से कम की महिला को जबरन अपने साथ ले जाना अपहरण है। 

इस कानून के अंतर्गत 7 साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान भी है। धारा 366 के तह्त महिला का अपहरण, और शादी के लिए लड़की को भगाना और जबरन शारीरिक संबंध बनाने के अपराध में 10 साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है। 

छेड़खानी 

धारा 509 के तह्त सार्वजनिक या एकांत में महिला के साथ किसी भी रूप में छेड़खानी (मौखिक, शारीरिक या सांकेतिक) अपराध है। इसके अंतर्गत अपराधी को 3 साल जेल की सज़ा और जुर्माने का भी प्रावधान है। 

बलात्कार 

बलात्कार भारतीय समाज का सबसे घिनौना अपराध है। लाख कोशिशों के बावजूद सरकार इस अपराध पर रोक लगाने में अक्षम रही है। इस अपराध के आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी ही हुई है और इसे काबू करने में सरकार और प्रशासन पूरी तरह फेल है। 

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इस अपराध को कानून की कई धाराओं में वर्गीकृत किया गया है। धारा 376 के तह्त नाबालिग लड़की या महिला से रेप, धारा 376A रेप और हत्या, परिवारजन या नौकर द्वारा रेप धारा 376C के तह्त और गैंगरेप धारा 376D के तह्त संगीन अपराध माना गया है। 

यहां तक की धारा 376B के तह्त मैरिटल रेप को भी अपराध माना गया है। इन अपराधों में सज़ा अपराध की संगीनता के हिसाब से अलग-अलग रेंज में जुर्माने के साथ 7 साल से लेकर 20 साल तक या फिर उम्र कैद तक रखी गई है। 

यौन उत्पीड़न 

किसी भी रुप में अनचाहे यौन के लिए प्रस्ताव या उत्पीड़न धारा 354A के अंतर्गत अपराध माना गया है। इसके लिए अपराधी को तीन साल की जेल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है। 

घरेलू हिंसा 

महिला के खिलाफ घर में पति द्वारा हिंसा घरेलू हिंसा के तह्त अपराध है। घरेलू हिंसा कानून, 2005 की धारा 498 के अंतर्गत मारपीट, रेप, जबरन यौन संबंध बनाना अपराध है और इसके तह्त 1 साल की सज़ा और जुर्माने का प्रवाधान है। 

ऑनर किलिंग 

इज्जत के नाम पर महिलाओं का जाति के बाहर शादी करना या प्रेम करने पर उनकी हत्या कर देना ऑनर किलिंग एक अपराध है। 

ऑनर किलिंग संविधान द्वारा एक व्यक्ति को प्राप्त कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है जैसे- जीने का अधिकार, निजता अपनी शारीरिक अस्मितता का अधिकार और किसी भी जुड़ाव के लिए चयन के अधिकार से वंचित रखने का अपराध है। 

साइबर क्राइम 

साइबर क्राइम आज के तकनीकी युग में सुरसा की भांति बढ़ रहा है और इसका शिकार महिलाएं भी हो रही हैँ। 

महिलाओं को ट्रोल, बुलिंग या एब्युस करना या पोर्नग्राफी के ज़रिए परेशान करना अपराध है। आईटी एक्ट, 2000 के तह्त इस अपराध के लिए 3 साल जेल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। 

दहेज प्रथा

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दहेज नाम की कुप्रथा समाज में अभी भी है। ग्रामीण भारत में यह अपराध सबसे ज़्यादा होता है। धारा 498A के अंतरगर्त इस अपराध की महिला द्वारा शिकायत करने पर पति और उसके परिवार को तुरंत उत्पीड़न के खिलाफ गिरफ्तार कर लिया जाता है। 

इस कानून के ग़लत इस्तेमाल की कई शिकायतें सामने आने के बाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए मजिस्ट्रेट से मंजूरी मिलने के बाद ही गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया है। 

एसिड अटैक 

हालांकि सरकार ने बिना सही सूचना के एसिड की बिक्री पर रोक लगा दी है, लेकिन इसके बावजूद तेजाब फेंक लड़कियों पर हमले के मामलों में रोक नहीं लग पा रही है। 
धारा 326A और 326B के तह्त एसिड फेंकने वाले अपराधी को जुर्माने के साथ 7 साल से लेकर आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है। 

स्टॉकिंग 

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यह आजकल एक नए तरह का अपराध सामने आ रहा है। स्टॉकिंग का मतलब महिला की निजता की सीमा पार कर पीछा करना या उस पर इंटरनेट या किसी भी तकनीक की मदद से निगाह रखना अपराध है।  ऐसा करने पर 3 से 5 साल तक की सज़ा का प्रावधान है। 

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Source : News Nation Bureau

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