क्रांतिकारी भगत सिंह ने जिस पिस्तौल से जॉन सॉंडर्स को गोली मारी थी उसे बीएसएफ अपने म्यूजियम में रखने की योजना बना रहा है। इस समय ये पिस्तौल इंदौर के सीएसडब्ल्यूटी म्यूजियम में रखा हुआ है।
1928 में .32 बोर के इस कोल्ट पिस्तौल से ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स का वध किया था।
बीएसएफ के इंसपेक्टर जनरल पंकज गूमर ने ने बताया कि सॉन्डर्स वध में इस्तेमाल की गई भगत सिंह की पिस्तौल इस समय पुराने संग्रहालय में अन्य हथियारों के साथ प्रदर्शन के लिये रखी गई है। लेकिन विशेष सम्मान देने के लिये इसे हमारे नए शस्त्र संग्रहालय में खासतौर पर प्रदर्शित किये जाने की योजना है। हमारा नए संग्रहालय के अगले दो-तीन महीने में बनकर तैयार होने की उम्मीद है। इसके साथ ही हम उनकी जीवन गाथा भी वहां पर उपलब्ध कराएंगे।’
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उन्होंने बताया कि इस पिस्तौल को सात अक्तूबर 1969 को सात अन्य हथियारों के साथ पंजाब की फिल्लौर स्थित पुलिस अकादमी से बीएसएफ के इंदौर स्थित सीएसडब्ल्यूटी भेज दिया गया था। इस पिस्तौल को पुलिस अकादमी के दूसरे 7 हथियारों के साथ बीएसएफ के शस्त्र संग्रहालय में रख दिया गया था।
उन्होंने बताया कि भगत सिंह की विरासत पर शोध कर रहे एक दल ने इस पिस्तौल के बारे जानकारी दी है। ऐतिहासिक दस्तावेजों को खंगालने के बाद ये ये साबित हो गया कि ये वही पिस्तौल है जिसे भगत सिंह ने सॉन्डर्स वध में इस्तेमाल किया गया था।
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गूमर ने जानकारी दी कि इसे शायद ब्रिटिश राज में ही लाहौर से पंजाब की फिल्लौर स्थित पुलिस अकादमी भेज दिया गया था।
सॉन्डर्स का वध लाहौर में 17 दिसंबर 1928 को गोली मारकर किया गया था। ‘लाहौर षड़यंत्र कांड’ के नाम से मशहूर मामले में भगतसिंह और दो अन्य क्रांतिकारियों: शिवराम राजगुर और सुखदेव थापर को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई। इन तीनों क्रांतिकारियों को तत्कालीन लाहौर सेंट्रल जेल के शादमां चौक में 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।
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Source : News Nation Bureau