एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को हुए भारत बंद के दौरान दंगाइयों ने जमकर उपद्रव फैलाया। इन आन्दोलनाकरियों ने काफी सरकारी सम्पति को भी काफी नुकसान पहुंचाया है।
भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस ने अब कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। अकेले गाजियाबाद में करीब 5 हजार मामले दर्ज किए गए हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति( अत्याचार निवारण) कानून के प्रावधानों को कमजोर करने के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान 5,000 से अधिक लोगों पर हंगामा करने और सार्वजनिक तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने कहा कि पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 285 लोगों को नामजद किया गया है इसके अलावा 5000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की गयी है। अभी तक 32 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य को गिरफ्तार करने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि अभी तक पुलिस ने जिले के शहरी इलाकों में43 स्थानों और ग्रामीण इलाकों में 17 स्थानों की पहचान की है जो अत्यधिक संवेदनशील हैं जहां प्रदर्शनकारी दोबारा शांति भंग कर सकते हैं। इन स्थानों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
एसएसपी कृष्ण ने बताया कि 2 अप्रैल को हुए प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए नौ पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है। उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति एवं अनुसचित जनजाति( अत्याचार निवारण) काननू, 1989 के तहत आपराधिक मामलों को दर्ज करने और गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा था कि पूर्व अनुमति के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि पुलिस को अलर्ट पर किया गया है। कुछ संदिग्ध गतिविधि पर फौरन आला अधिकारियों को सूचना देने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिले में शांति है और हंगामा करने वाले लोगों की तलाश की जा रही है। जल्द ही सभी को गिरफ्तार किया जाएगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद बुलाया था। यह बंद देश के कई राज्यों में हिंसक उपद्रव में तब्दील हो गया, जिसमें अभी तक कुल 11 लोग मारे जा चुके हैं।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच के बाद ही गिरफ्तारी का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मामले की जांच डीएसपी रैंक के बराबर या उससे ऊपर के अधिकारी को ही करनी होगी।
और पढ़ें: मध्य प्रदेश: भारत बंद के दौरान पत्थरबाजी के आरोप में 50 लोग गिरफ्तार, कर्फ्यू जारी
Source : News Nation Bureau