Bharat Bandh Update 26 February 2021: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders-CAIT) ने जीएसटी नियमों में हाल ही में किये गए कुछ संशोधन तथा ई कॉमर्स व्यापार में विदेशी कंपनियों की मनमानी को रोकने के लिए आज यानि शुक्रवार को एक दिन के हड़ताल का आह्वान किया है. कैट की ओर जारी बयान में कहा गया है कि देशभर में सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियां भी बंद रहेंगी. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने ईंधन की बढ़ती हुई कीमतों और ई-वे बिल को लेकर बंद का समर्थन करने का ऐलान किया है. लघु उद्योग, हॉकर्स, महिला उद्यमी, स्वयं उद्यमियों एवं व्यापार से जुड़े अन्य क्षेत्रों के राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संगठन भी व्यापार बंद को अपना समर्थन दे रहे हैं. सभी राज्यों में चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं टैक्स अधिवक्ता के संगठन भी बंद को समर्थन देंगे. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली सहित देश भर में सभी राज्यों के लगभग 1500 छोटे-बड़े संगठन धरना दे रहे हैं.
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि 22 दिसंबर और उसके बाद जीएसटी नियमों में एकतरफा अनेक संशोधन किये गए जिनको लेकर देशभर के व्यापारियों में बड़ा गुस्सा है. इन संशोधनों द्वारा कर अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं जिनमें विशेष तौर पर अब कोई भी अधिकारी अपने विवेक के अनुसार कोई भी कारण से किसी भी व्यापारी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर ससपेंड कर सकता है. उन्होंने कहा की इस प्रकार के नियमों से न केवल भ्रष्टाचार बढ़ेगा बल्कि अधिकारी किसी भी व्यापारी को प्रताड़ित कर सकेंगे. भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि इसी प्रकार जिस तरह से विदेशी ई कॉमर्स कंपनियां अपने मनमाने तरीके से ई-कॉमर्स के कानून एवं नीतियों का उल्लंघन कर रही है उसको रोकने के लिए सरकार को शीघ्र ही एफडीआई पालिसी में नया प्रेस नोट जारी करना चाहिए और कानून का उल्लंघन करने वाली ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
बंद से ये चीजें रहेंगी बाहर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें बंद में शामिल नहीं हैं. आम जरूरतों को पूरा करने वाली दुकानें भी रिहायशी कॉलोनियों में बंद से बाहर रहेंगी.
HIGHLIGHTS
- जीएसटी नियमों में एकतरफा अनेक संशोधन किए हैं जिनको लेकर देशभर के व्यापारियों में है रोष
- कानून का उल्लंघन करने वाली ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग
Source : News Nation Bureau