महाराष्ट्र के पुणे शहर में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 201वीं सालगिरह के मौके पर सोमवार देर रात हजारों लोगों ने कड़ी सुरक्षा के बीच विजय स्तंभ (युद्ध स्मारक) पहुंचकर जश्न मनाया. भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लोगों ने 31 दिसंबर की मध्यरात्रि को कार्यक्रम का आयोजन किया. महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों से हजारों लोग स्मारक के पास पहुंचकर श्रद्धांजलि दी और पूजा का आयोजन भी किया गया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि यहां पहुंचने वाले लोगों में अधिकतर युवा थे, वे राज्य के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र से पहुंचकर स्मारक पर श्रद्धांजलि दिए.
पिछले साल की हुई हिंसा को देखते हुए भीमा-कोरेगांव गांव और उसके चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है क्योंकि एक अनुमान के तौर पर यहां पूरे राज्य से 8 से 10 लाख लोग मंगलवार (1 जनवरी) को इकट्ठा हो सकते हैं.
गौरतलब है कि अंग्रेजों और मराठों के बीच हुए तीसरे ऐतिहासिक युद्ध की बरसी की याद में होने वाले समारोह में लोग यहां एकत्र होते हैं. यह युद्ध सबल अंग्रेजी सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच हुई थी जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी. अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे.
अंग्रेजों ने बाद में वहां विजय-स्तंभ बनवाया था. दलित जातियों के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय के प्रतीक मानते हैं और यहां नए साल पर 1 जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता है.
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पिछले साल इस इलाके में 1 जनवरी को जब दलित समूहों ने लड़ाई के दौ सौ साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था, उसी वक्त हिंसा भड़की थी. इस हिंसा में 1 व्यक्ति की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे.
इस घटना के बाद 2018 के मध्य में पुलिस ने छापेमारी कर मानवाधिकार और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. जिन पर कार्रवाई चल रही है. मुंबई पुलिस ने बीते शुक्रवार को भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद, 7 अन्य नेताओं और करीब 350 कार्यकर्ताओं को मलाड, घाटकोपर, कांदीवली, दादर, वर्ली और अन्य इलाकों से हिरासत में लिया था.
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Source : News Nation Bureau