पुणे की एक स्थानीय अदालत की ओर से शुक्रवार को एल्गार परिषद सम्मेलन मामले में वामपंथी ऐक्टिविस्ट अरुण फेरेरा और वर्नोन गॉनजैल्विस की जमानत याचिका खारिज करने के कुछ ही घंटों बाद महाराष्ट्र पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया है. इन दोनों एक्टिविस्टों पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप है. वहीं इस मामले में पुणे पुलिस ने एक अन्य ऐक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को हिरासत में लेने के लिए एक टीम को फरीदाबाद रवाना कर दिया है. उन्हें आज (शनिवार) हिरासत में लिया जा सकता है.
पुलिस के अनुसार दोनों एक्टिविस्टों को आज अदालत के सामने पेश किया जाएगा.
इससे पहले शुक्रवार को जिला और सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) के डी वडाणे ने गॉनजैल्विस और फेरेरा सहित सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. वडाणे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस की ओर से एकत्र सामग्री से प्रतीत होता है कि आरोपियों के माओवादियों से कथित संबंध हैं.
जिला और सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) के डी वडाणे ने कहा, ‘ समाजसेवा, मानवाधिकार से जुड़े कार्यों की आड़ में वह प्रतिबंधित संगठन (सीपीआई माओवादी) के लिए काम कर रहे हैं और भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को खतरा पहुंचाने के लिए की जा रही गतिविधियों में संलिप्त हैं.’
न्यायाधीश ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा, अभी इस चरण में, जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री के आधार पर, प्रथम दृष्टया आरोपियों के प्रतिबंधित संगठन (सीपीआई माओवादी) के साथ संबंधों की पुष्टि होती है. उन्होंने कहा कि जांच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है.
बता दें कि तीनों पहले ही नजरबंद थे लेकिन पुणे पुलिस उनको हिरासत में नहीं ले पा रही थी क्योंकि विभिन्न अदालतों ने उस पर (उनको हिरासत में लेने पर) रोक लगा रखी थी.
जमानत याचिका के खारिज होने पर पुणे पुलिस ने फेरेरा और गॉनजैल्विस को हिरासत में ले लिया.
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गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा में कथित संलिप्तता के चलते अगस्त में इन तीनों को कवि पी वरवरा राव और गौतम नवलखा के साथ गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दावा किया है कि उसने इनके और शीर्ष माओवादी नेताओं के बीच ई-मेल पर हुई बातचीत को भी जब्त किया है.
Source : News Nation Bureau