भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट खत्म करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई से जल्द सुनवाई की मांग करेगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने नवलखा की ट्रांजिट रिमांड पर दिए जाने के आदेश को रद्द कर दिया था।
हाई कोर्ट ने सोमवार को गौतम नवलखा को नजरबंदी से रिहा करने का आदेश देते हुए कहा था कि उनकी हिरासत कानून के तहत 'असमर्थनीय' है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की एक पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को पुणे ले जाने की इजाजत दी गई थी।
उच्च न्यायालय की पीठ ने हालांकि कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नवलखा के खिलाफ मामले में नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए मुक्त है।
नवलखा को प्रतिबंधित नक्सली समूह के साथ कथित रूप से संबंधों के लिए 28 अगस्त को देश भर में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मारे गए छापों में गिरफ्तार किया गया था। वह गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक हैं।
नवलखा को दक्षिणी दिल्ली के नेहरू एंक्लेव के उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था और यहां मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने पुलिस को उन्हें पुणे की अदालत में पेश करने की इजाजत दी थी।
और पढ़ें : एल्गार परिषद मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, कहा- कोर्ट में चल रहे मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कैसे
इसके बाद उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का निर्देश दिया था और अगले आदेश तक उन्हें नजरबंद रखने को कहा था।
Source : News Nation Bureau