भीमा कोरेगांव केस: अब जस्टिस रविन्द्र भट्ट ने भी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. गौरतलब है कि अभी तक पांच जज इस अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं. जस्टिस भट्ट से पहले चीफ जस्टिस, जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी आर गवई भी नवलखा की अर्जी पर सुनवाई से अलग कर चुके हैं. नवलखा ने अपने खिलाफ दायर FIR को रद्द करने की मांग की है.
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भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सलियों से जुड़े होने के आरोप में अपने घर में ही नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का हाउस अरेस्ट खत्म हो गया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया. नवलखा पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उनकी हिरासत 24 घंटे को पार कर गई और आगे इसकी इजाजत नहीं है. मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की नजरबंदी चार हफ्ते के लिए बढ़ा दी है, जिससे कि समुचित कानूनी कदम उठाया जा सके.
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बता दें कि नकस्लियों के कनेक्शन के मामले में वरवर राव, सुधा मल्होत्रा सहित अन्य पांच को गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए इन्हें रिमांड पर लेने की कोर्ट में गुहार लगाई थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना असहमत आवाजों के लोकतंत्र नहीं चल सकता. इस दौरान पुलिस की मांग को खारिज करते हुए कोर्ट ने उन्हें रिमांड के बदले चार हफ्ते का हाउस अरेस्ट दिया था. तिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने वरवर राव, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा, वर्णन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.