भीमा कोरेगांव मामले के आरोपियों में एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और प्रोफेसर आनंद तेलतुम्बड़े को पुणे पुलिस ने मुंबई से शनिवार सुबह गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले शुक्रवार को पुणे सेशंस कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर आनंद को तड़के ही मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया. अभी उन्हें मुंबई के विले पार्ले थाने में रखा गया है.
कोर्ट में फैसला सुनाते हुए जज किशोर वडाने ने कहा था, 'मेरे विचार से, जांच अधिकारियों द्वारा इकट्ठा किए गए सबूत आरोपी के खिलाफ अपराध में संलिप्तता के लिए काफी हैं. यहां तक कि मौजूदा आरोपी के मामले में जांच अभी महत्वपूर्ण स्तर पर है और हिरासत में पूछताछ जरूरी है.'
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 'सबूत' के तौर पर इनवेलप जमा किया और कहा कि यह साबित करता है कि आनंद तेलतुम्बड़े का संबंध माओवादी गतिविधियों से है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलगार परिषद कार्यक्रम मामले में दर्ज हुए एफआईआर खारिज होने के बाद तेलतुम्बड़े ने पुणे कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी.
इस मामले में 9 कार्यकर्ताओं को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. बचाव पक्ष के वकील रोहन नाहर ने कोर्ट में कहा कि कथित पत्राचार में शामिल 'कॉमरेड आनंद' से साबित नहीं होता है कि वे तेलतुम्बड़े हैं, जैसा अभियोजन पक्ष बता रही है.
लेकिन जज ने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष के द्वारा जमा किए गए कागजातों से 'प्रथम दृश्टया' पता चलता है कि इसमें कुछ तथ्य हैं और ये वही व्यक्ति हैं. नाहर ने कहा कि वह इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती देंगे.
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पुणे पुलिस के अनुसार, 31 दिसंबर 2017 को आयोजित किए गए एलगार परिषद कार्यक्रम में माओवादियों ने समर्थन किया था और उस कार्यक्रम में उकसाने वाले भाषण दिए गए थे जिससे अगले दिन वहां हिंसा हुई थी.
पिछले साल 28 अगस्त को देशभर में कई जगहों पर छापे मारे थे और माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं कवि वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था. इसी सिलसिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी और आनंद तेलतुंबडे समेत कई अन्य के खिलाफ भी छापे मारे गए थे.
पुणे पुलिस ने तेलतुंबड़े के गोवा स्थित घर पर छापेमारी भी की थी और उन्हें संदेह के घेरे में रखा था. हालांकि आनंद ने सभी आरोपों से इंकार किया था और दावा किया था कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और उनके पास इसका पर्याप्त सबूत है.
वहीं इससे पहले जून 2018 में माओवादियों के साथ कथित संपर्कों को लेकर वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल निवासी रोना विल्सन को जून में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया था.
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Source : News Nation Bureau