पुणे सेशन कोर्ट नें भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी आनंद तेलतुम्बड़े की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आनंद तेलंतुबड़े के खिलाफ हुई एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया था. आनंद तेलतुंबड़े पर पुणे पुलिस ने माओवादियों से संबंध रखने के आरोप लगाए थे. इस मामले में पुणे पुलिस ने तेलतुंबड़े के गोवा स्थित घर पर छापेमारी भी की थी और उन्हें संदेह के घेरे में रखा था. हालांकि आनंद ने सभी आरोपों से इंकार किया था और दावा किया कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और उनके पास इसका पर्याप्त सबूत है.
बता दें कि बीते 28 अगस्त को कोरेगांव-भीमा दंगा मामले में नक्सल समर्थकों की भागीदारी की जारी जांच के सिलसिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता क्रांति, स्टेन स्वामी और आनंद तेलतुंबडे समेत कई अन्य के खिलाफ भी छापे मारे की गई थी.
महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया था. महाराष्ट्र पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं.
क्या है मामला ?
पिछले साल 31 दिसंबर को गिरफ्तार लोगों ने पुणे के शनिवारवाड़ा में एलगार परिषद आयोजित किया था. यह परिषद ब्रिटिश सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई थी. इस आयोजन को गुजरात के दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम सेना के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था. इसके एक दिन बाद (एक जनवरी को) कोरेगांव-भीमा में जातीय दंगे भड़के थे.