बहुचर्चित भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case )में एनआईए कोर्ट ने गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की अर्जी खारिज कर दी है. उसने फैसला सुनाया कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार गिरफ्तारी की अवधि को नजरबंदी की अवधि में शामिल नहीं किया जा सकता है.
नवलखा ने डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन किया था. उनके अनुसार, वह एनआईए द्वारा बिना किसी आरोप पत्र के 90 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रहा है, इसलिए कानून द्वारा निर्धारित वह डिफ़ॉल्ट बेल पाने की हकदार हैं.
6 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई स्थानांतरित करने से संबंधित न्यायिक रिकार्ड पेश करने का एनआईए को निर्देश देने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश सोमवार को निरस्त कर दिया था.
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न्यायालय ने कहा कि यह बंबई की अदालतों के अधिकार क्षेत्र का मामला है जो ऐसे आवेदन पर विचार कर सकती हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि नवलखा ने गलत सोच के आधार पर जोखिम उठाते हुये अग्रिम जमानत के लिये सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय में आवेदन दाखिल किया और शीर्ष अदालत के आठ अप्रैल, 2020 के आदेश की भावना के मद्देनजर उच्च न्यायालय द्वारा की गयी पूरी कवायद अनावश्यक थी.
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बता दें कि गौतम नवलखा को कोरेगांव भीमा गांव में एक जनवरी, 2018 को हुयी हिंसा के सिलसिले में पुणे पुलिस ने अगस्त, 2018 को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस का आरोप था कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद में भड़काने वाले बयान दिये गये थे जिसकी वजह से अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क उठी थी. पुलिस का आरोप था कि इस समागम को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था.