भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मंगलवार को गिरफ्तार किए गये पांच लोगों को लेकर पूरे देश में बवाल मचा है। बताया जा रहा है कि इन सभी लोगों के तार कथित तौर पर नक्सलियों से जुड़े हुए हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहे है कि मंगलवार को पुणे पुलिस ने जिन 7 लोगों के घर पर छापेमारी की है वो सभी लोग प्रतिबंधित संस्था से संबंध रखते हैं। इन सातों लोगों के नाम हैं- वरवर राव, सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, अरूण फरेरा, वेरनन गोन्जाल्विस और महेश राउत।
सूत्रों का कहना है कि दिसम्बर 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस तरह के 128 संस्थाओं की पहचान की थी जो सीपीएम (माओवादी) से जुड़े थे। यूपीए सरकार ने इस बारे में सभी राज्यों को ख़त लिख़कर इन संस्थाओं पर कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया था।
बता दें कि हैदराबाद में तेलुगू कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वेरनन गोन्जाल्विस और अरूण फरेरा, फरीदाबाद में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में सिविल लिबर्टीज के कार्यकर्ता गौतम नवलखा के आवासों में तकरीबन एक ही समय पर तलाशी ली गयी।
अपुष्ट रिपोर्ट के मुताबिक जिन अन्य लोगों के आवास में छापे मारे गए, उनमें सुसान अब्राहम, क्रांति टेकुला, रांची में फादर स्टान स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुंबदे शामिल हैं। गौरतलब है कि कोरेगांव - भीमा, दलित इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वहां करीब 200 साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवा शासकों को एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश सेना ने हराया था। अंग्रेजों की सेना में काफी संख्या में दलित सैनिक भी शामिल थे। इस लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के लिए हर साल पुणे में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और कोरेगांव भीमा से एक युद्ध स्मारक तक मार्च करते हैं।
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पुलिस के मुताबिक इस लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ मनाए जाने से एक दिन पहले 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम में दिए गए भाषण ने हिंसा भड़काई। वहीं, मंगलवार का घटनाक्रम जून में की गई छापेमारी के ही समान है जब हिंसा की इस घटना के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
Source : News Nation Bureau