भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार वामपंथी विचारकों के संबंध प्रतिबंधित माओवादी संगठन CPI (माओइस्ट) से होने का दावा महाराष्ट्र पुलिस ने किया है। पुलिस ने ये भी बताया है कि ये लोग देश मे मोदी राज को खत्म करने के लिए पीएम मोदी की हत्या की साज़िश भी रच रहे थे। 28 अगस्त को देश में 9 जगहों पर चले मैराथन छापों के बाद पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के मामले में आज महाराष्ट्र पुलिस ने नया खुलासा किया है।
पुणे पुलिस का दावा है कि ट्रेड यूनियन लीडर सुधा भारद्वाज, कवि वरवर राव, लेखक अरुण फरेरा, सामाजिक कार्यकर्ता वेर्नोन गोंसाल्विस और पत्रकार गौतम नवलखा दरअसल माओवादी संगठनों के इशारे पर देश मे एक छुपा हुआ आंदोलन चला रहे थे। जिसमें सरकार विरोधी कार्यक्रम, देश मे अशांति फैलाने वाले कामों के अलावा देश के पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश तक शामिल हैं। इन सभी बातों का खुलासा उन लेटर्स, इमेल्स और दस्तावेजों से हुआ है जो छापों के दौरान पुलिस ने इनके घर से बरामद किए। एडीजी परमवीर सिंह ने कहा सभी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस फोरेंसिक लेब्रोटरी भेजे जा चुके हैं।
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा मामला
दरअसल पुणे में बीते साल 31 दिसंबर को दलितों की महासभा एलगार परिषद में कुछ भड़काऊ भाषण दिए गए। जिसके बाद पुणे के भीमा कोरेगांव में दलित बनाम सवर्ण दंगे हुए थे जिसकी चपेट में पूरा महाराष्ट्र आ गया।
इन दंगों की जांच में जुटी पुणे पुलिस को इसी साल जून में इन दंगों के पीछे माओवादियों के हाथ होने के कुछ सबूत मिले थे। और उन्हीं सबूतों के आधार पर पुलिस ने जून के महीने में मुंबई से दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, पेशे से वकील सुरेंद्र गडलिंग, एक्टिविस्ट महेश राउत और शोमा सेन को नागपुर से जबकि रोना विल्सन को दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था। रोना विल्सन के दिल्ली के मुनिरका वाले फ्लैट से पुलिस ने एक लैपटॉप भी बरामद किया जिससे मिली एक चिट्ठी ने पीएम मोदी की हत्या की बात भी सामने आई है।
चिट्ठी में क्या लिखा था ?
पत्र में कहा गया था कि, 'मोदी 15 राज्यों में बीजेपी को स्थापित करने में सफल हुए हैं। यदि ऐसा ही रहा तो सभी मोर्चों पर पार्टी के लिए दिक्कत खड़ी हो जाएगी। कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कॉमरेड्स ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं। हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं। यह आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे। उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है। हमें लगता है कि पार्टी का अस्तित्व किसी भी त्याग से ऊपर है। बाकी अगले पत्र में।'
इस चिट्ठी में खतरनाक हथियारों को खरीदने के लिए 8 करोड़ रुपयों की ज़रूरत भी बताई गई थी जिससे एम4 ग्रेनेड लॉन्चर और AK 47 राइफल्स जैसे हथियार खरीदने की बात कही गयी थी।
इन सबूतों के आधार पर पुलिस ने फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज, दिल्ली से गौतम नवलखा, हैदराबाद से वरवर राव, मुंबई से अरुण फरेरा और ठाणे से वेर्नोन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया जो कि, बकौल पुलिस, माओवादी संगठनों से लगातार संपर्क में थे और उनके लिए कैडर की नियुक्ति और संगठन के लिए पैसे जुटाने का काम भी कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगली सुनवाई तक सभी आरोपियों को नज़रबंद करके रखा गया है लेकिन पुणे पुलिस का दावा है कि उनके पास इन आरोपियों के ख़िलाफ़ पुख़्ता सबूत हैं।
Source : News Nation Bureau