भोपाल जेल ब्रेक के बाद मारे गए कथित आतंकियों के मसले पर ना सिर्फ राजनीतिज्ञ, बल्कि सिविल सोसाइटी और सोशल मीडिया भी गरम होता दिख रहा है। फेसबुक पर सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व जज मार्कण्डेय काटजू ने सोमवार रात एक पोस्ट किया। इस पोस्ट पर तकरीबन 6 हज़ार लाइक हैं और इसे 2 हज़ार से अधिक बार शेयर किया जा चुका है।
इस पोस्ट में काटजू ने एनकाउंटर पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने लिखा है कि उनकी जानकारी के मुताबिक़ ये एनकाउंटर फेक है और जो भी इसके लिए दोषी है, उसे सज़ा मिलनी चाहिए, चाहे वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या राजनीतिज्ञ ही क्यों ना हों।
उन्होंने प्रकाश कदम बनाम रामप्रसाद विश्वनाथ गुप्ता केस (13 मई 2011) का ज़िक्र किया। आपको बता दें कि ये फैसला जस्टिस मार्कण्डेय काटजू और जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा की बेंच ने दिया था जिसमें कुछ पुलिस वालों को रामनारायण गुप्ता को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारने का दोषी पाया गया था। उन्हें दिन-दहाड़े पुलिस ने उठा लिया था और डी. एन. नगर पुलिस स्टेशन लेकर आये। शाम को रामनारायण गुप्ता का किसी अनजानी जगह पर एनकाउंटर कर दिया गया था। बेंच ने उस वक़्त कहा था कि यह बहुत गंभीर मामला है और इसे साधारण मुक़दमे की तरह नहीं लिया जा सकता।
मंगलवार को भी इस मसले पर काटजू फेसबुक पोस्ट कर रहे हैं। अपने हालिया पोस्ट में काटजू ने एक पुराने जजमेंट का हवाला देते हुए लिखा है कि किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्यमात्र होना अपराध नहीं है, जब तक वह व्यक्ति किसी हिंसा में शामिल ना हो। सिमी के कथित आतंकियों के एनकाउंटर पर उन्होंने लिखा है कि ये आठों अंडरट्रायल थे और यह संभव था कि उनमें से कुछ सिमी के सदस्य नहीं भी निकलते।
Source : News Nation Bureau