उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एस रविंद्र भट ने अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कोर्पोरेशन का अधिग्रहण करने वाली कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निधि की मांग वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. यह निधि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए मांगी गई है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई बुधवार तक टाल दी और कहा कि मामले की सुनवाई के लिए पीठ के संबंध में फैसला प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे लेंगे.
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न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत शरण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति भट वाली पीठ ने कहा, “हम आज इस पर सुनवाई नहीं करेंगे. हम प्रधान न्यायाधीश के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”
न्यायमूर्ति भट ने मामले की सुनवाई वाली पीठ का हिस्सा बनने की अनिच्छा जताते हुए कहा,“केंद्र ने जब पुनर्विचार की मांग की थी तब मामले में मैंने भारत सरकार की ओर से पक्ष रखा था.”
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1984 में दो-तीन दिसंबर की दरम्यानी रात को यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से जहरीली गैस का रिसाव होने के बाद यूनियन कार्बाइड कोर्पोरेशन (यूसीसी) ने 715 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था. इस गैस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 1.02 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. इस कंपनी का स्वामित्व अब डाउ केमिकल्स के पास है.
Source : Bhasha