प्रवासी मजदूरों (Migrant Labor) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम आदेश सुनाया है. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने कहा है कि जो मजदूर अपने घर जाना चाहते है, उन्हें राज्य 15 दिन के अंदर गृह राज्य भेजने की व्यवस्था करें. अगर राज्य श्रमिक ट्रेन की मांग करते है तो 24 घंटे के अंदर उन्हें रेलवे ट्रेन उपलब्ध कराए.
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रोजगार की योजना तैयार करें राज्य
कोर्ट के सामने एक बड़ा सवाल ये भी था कि जो मजदूर अपने गृह राज्य लौट गए है, उनके रोजगार का कैसे इंतज़ाम हो. इसके लिए कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिए है कि पलायन करने वाले ऐसे मजदूरों का पूरा डेटा तैयार किया जाए, उनकी स्किल मैपिंग हो, ये पता किया जाए कि गृह राज्य लौटने से पहले वो अपने काम वाले शहर में क्या काम कर रहे थे. उस लिहाज़ से उन्हें रोजगार देने की स्कीम तैयार की जाएं. राज्य सहायता केंद्र बनाए ताकि वापस लौटे मज़दूरों को रोजगार पाने में मदद मिले. इसके अलावा जो मजदुर वापस अपने काम की जगह पर जाना चाहते है, तो उसे बारे में जानकारी देने के लिए राज्य कॉउंसलिंग सेंटर बनाए जाएं.
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लॉकडाउन उल्लंघन के केस वापस लेने पर विचार हो
लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्य लौटने की कोशिश कर रहे मजदूरों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य मजदूरों के खिलाफ ऐसे केस वापस लेने पर विचार करे.
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अभी सुनवाई जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी ज़रूर किये है, लेकिन अभी ये मामला कोर्ट में खत्म नहीं हुआ है. कोर्ट इस मामले में सुनवाई जारी रखेगा. अभी कोर्ट कर आदेश के मुताबिक राज्यों को मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कर, स्किल मैपिंग कर उनके रोजगार के बारे में काम करना है. इसके बाद राज्यों को रोजगार स्कीम और मजदूरों के लिए नए काम के सृजन को लेकर कोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है. कोर्ट में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी.
Source : News Nation Bureau