पश्चिम बंगाल (West Bengal) में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को राष्ट्रीय रूप-स्वरूप देने में जुट गई हैं. दिल्ली में 24 घंटे पहले कीर्ति आजाद, पवन वर्मा और अशोक तंवर को टीएमसी में शामिल कराने के बाद उन्होंने मेघालय (Meghalaya) में कांग्रेस को एक बड़ा झटका दिया है. मेघालय में कांग्रेसी विधायकों में से दर्जन भर ने पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा (Mukul Sangma) के नेतृत्व में टीएमसी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही टीएमसी सूबे में बगैर चुनाव लड़े ही मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभर आई है. टीएमसी ने कांग्रेस को इस झटके के साथ ही यह संदेश भी दे दिया है कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) से दो-दो हाथ करने के लिए विपक्षी एकता को एक नेतृत्व देने को तैयार हैं. गौरतलब है कि ममता बनर्जी कुछ दिनों बाद महाराष्ट्र का दौरा करने वाली है. इस दौरान वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भी मुलाकात करेंगी.
विंसेंट की नियुक्ति से नाराज थे मुकुल संगमा
जाहिर है पूर्वोत्तर में कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका है. चूंकि कांग्रेस के दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों ने पाला बदला है. ऐसे में उन पर दलबदल कानून नहीं लागू होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार को एक बजे शिलांग में प्रेस कांफ्रेंस कर मुकुल संगमा विधिवत टीएमसी में शामिल होने का ऐलान करेंगे. सूत्रों के मुताबिक विंसेंट एच पाला को मेघालय प्रदेश कांग्रेस समिति का प्रमुख बनाए जाने के बाद से संगमा नाराज चल रहे थे. संगमा का कहना था कि पार्टी नेतृत्व ने पाला की नियुक्ति को लेकर उनसे कोई राय-मशविरा नहीं किया. इसके बाद ही कयास लगाए जा रहे थे कि संगमा टीएमसी में शामिल हो सकते हैं. इसे देखते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संगमा को दिल्ली भी तलब किया था, लेकिन असंतोष को खत्म नहीं कराया जा सका और महीने भर बाद ही संगना मे कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया.
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टीएमसी बगैर चुनाव लड़े बन गई प्रमुख विपक्षी पार्टी
मेघालय में विधानसभा की 60 सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं और नेशनल पीपुल्स पार्टी को 20 सीटें मिली थीं. यूडीएफ के खाते में 6 और निर्दलियों के पास 3 सीटें गई थीं. इस चुनाव में भाजपा को महज दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन बाद में एनपीपी की सरकार बनी, जिसमें भाजपा सहयोगी पार्टी है. अब मुकुल संगमा के साथ 12 कांग्रेसी विधायकों के साथ छोड़ने से कांग्रेस के पास केवल नौ विधायक रह जाएंगे. यही नहीं, कांग्रेस में एक बड़ी टूट कराने के बाद टीएमसी बिना चुनाव लड़े ही 12 विधायकों के साथ प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी बन जाएगी.
HIGHLIGHTS
- विंसेंट एच पाला को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज थे मुकुल संगमा
- इस टूट के साथ ही टीएमसी बगैर चुनाव लड़े बन गई प्रमुख विपक्षी पार्टी
- 2024 लोस चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ जमीन तैयार कर रहीं दीदी