अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रविवार को AIMPLB की बैठक हुई. इसमें तय किया गया कि बोर्ड द्वारा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी. इसके साथ ही बोर्ड ने कोर्ट के 5 एकड़ जमीन दिए जाने पर अपनी असहमति जताई है. जफरयाब जिलानी ने कहा कि कोर्ट के फैसले में कई खामियां देखते हुए हमने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है. हम बाबरी मस्जिद के लिए कोर्ट गए थे, ना कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन लेने के लिए.
अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने और अयोध्या में 5 एकड़ जमीन के मसले पर लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आयोजित की गई. इस बैठक में मौलाना महमूद मदनी, अरशद मदनी, मौलाना जलालुद्दीन उमरी, Et बशीर, खालिद रशीद फिरंगी महली, असदुद्दीन ओवैसी, जफरयाब जिलानी, मौलाना रहमानी, मौलाना वली रहमानी, खालिद सैफुल्ला रहमानी, राबे हसन नदवी मौजूद रहे. बैठक में फैसला लिया गया कि बोर्ड द्वारा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी. हालांकि इस बैठक के शुरू होते ही कुछ मुद्दों को लेकर सदस्यों में दो फाड़ की बात सामने आई है. बैठक शुरू होने से ऐन वक्त पहले ही इसकी जमीन बदल दी गई. बैठक के दौरान भी कुछ सदस्यों के बीच से उठकर आने की खबर सामने आई. इस बैठक का बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बहिष्कार कर दिया है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हिंदुस्तान का अहम फैसला था, हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे. हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए.
पुनर्विचार याचिका पर मुस्लिम पक्ष एकमत नहीं
इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्य एकमत नहीं हैं. मौलाना कल्बे जव्वाद कह चुके हैं कि देश को दोबारा इस मसले में डालना वाजिब नहीं है. दूसरी तरफ शनिवार को हुई बैठक में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिस्सा नहीं लिया. दोनों पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि इस मसले पर कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे. हालांकि इस मामले में एम आई सिद्दीकी समेत बाकी तीन पक्षकारों ने याचिका दायर करने को लेकर सहमति दे दी है.
जमीन ना लेने पर राजी हुए 90 फीसदी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं करेगा. उसका कहना है कि हमारी लड़ाई कानूनी रूप से इंसाफ के लिए थी. ऐसे में हम वह जमीन लेकर पूरी जिंदगी बाबरी मस्जिद के जख्म को हरा नहीं रख सकते हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई पांच एकड़ जमीन को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं स्वीकारेगा. बोर्ड के तकरीबन 90 फीसदी सदस्य इस बात पर राजी हैं. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी साफ कर दिया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में क्या फैसला होता है, उसके बाद वह जमीन लेने पर अपनी राय रखेगा.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो