केंद्र सरकार ने स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉल मार्किंग को अनिवार्य कर दिया है. अब बिना हॉल मार्क गोल्ड जूलरी नहीं बेची जा सकेगी. सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए इसे अनिवार्य कर दिया. अब सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषण बेचे जा सकेंगे. बाकी नंबरों को हटाया जाएगा.
फिलहाल देश के 234 जिलों में 877 हॉल मार्किंग सेंटर है. इनमें करीब 26019 ज्वेलर बीआईएस का लाभ उठा रहे हैं. हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में BIS वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. यदि सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है.
14 साल पहले शुरू हुई थी हॉलमार्किंग
सोने के गहनों की हॉलमार्किंग को 14 साल पहले शुरू किया गया था. इसके तहत ज्वैलर को अपने गहनों को हॉलमार्क कराने के लिए BIS से प्रमाण पत्र लेना होता है. हॉलमार्किंग BIS के मान्यता प्राप्त केंद्रों में कराई जा सकती है.
15 जनवरी जारी की जाएगी अधिसूचना
इस बारे में 15 जनवरी 2020 को सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी. अधिसूचना जारी किए जाने के एक साल बाद इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा. तब तक पुराना माल खत्म हो जायेगा और नए सेंटर बनाये जाएंगे. अगर बिना हॉलमार्क के अब कोई गोल्ड जूलरी भेजेगा तो उस पर कम से कम 1 लाख का जुर्माना या वैल्यू का पांच गुना देना जुर्माना देना होगा. इसके साथ ही 2 साल की जेल भी हो सकती है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो