HIV Infection: नॉर्थ ईस्ट के राज्य त्रिपुरा से आई इस खबर ने हडकंप मचा दिया था कि राज्य के स्टूडेंट बडी तादात में HIV पॉजिटिव पाए गए हैं..त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने दावा किय़ा था कि राज्य में 828 स्टूडेंट्स HIV Positive पाए गए हैं...जिनमें से 47 छात्रों की मौत भी हो चुकी है. आंकडों को राज्य सरकार ने भ्रामक बताकर खारिज किया तो एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने भी स्पष्टीकरण दिया और कहा है कि ये आंकडे हाल के नहीं बल्कि साल 2007 से 2024 तक के हैं... आखिर इन आंकडों की हकीकत क्या है, क्या वाकई त्रिपुरा में HIV के केस मिले हैं...न्यूज नेशन की टीम इसकी सच्चाई जानने त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पहुंची और सबसे पहले राज्य की एड्स नियंत्रण सोसाइटी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर समरपिता दत्ता से ही हकीकत जानने की कोशिश की.
.. डायरेक्टर दत्ता ने बताया जिसमें बोल रही है कि 17 साल के आंकडें हैं और मौत किसी और बीमारी से भी हो सकती है. ये भी बात साफ हुई कि राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और लगातार सभी स्कूलों और कॉलेजों में इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लेकिन न्यूज नेशन से बातचीत में समरपिता दत्ता ने जो सबसे बडा खुलासा किया वो हैरान करने वाला था..समरपिता दत्ता के मुताबिक, 87 फीसदी HIV संक्रमण के मामले 15 से 30 साल की उम्र के युवाओं में पाए गए हैं...कुछ युवा 15 साल से कम उम्र के भी हैं...और HIV संक्रमण फैलने की बडी वजह इंजेक्शन से लिया जाने वाला ड्रग्स है...जिससे HIV संक्रमण की दर पोस्ट कोविड 10 फीसदी तक हो चुकी है.. त्रिपुरा में HIV संक्रमण के पीछे इंजेक्शन से लिए जाने वाले ड्रग्स की इस हकीकत को सुनकर हम भी हैरान रह गए...क्योंकि त्रिपुरा के युवाओं को नशे के दलदल में झोंकने के साथ ही उन्हें ऐसी बीमारी दी जा रही है...जो मौत के मुंह तक पहंचा देती है...
सवाल था कि आखिर वो कौन लोग हैं जो त्रिपुरा के यूथ को बर्बाद करने पर तुले हैं...इसकी पडताल हमने शुरू की और पहुंचे एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में जहां हमें ऐसे युवा मिले जो ड्रग्स की वजह से HIV के शिकार हो गए थे...और अब इलाज करा रहे हैं....ड्रग्स से पीछा छुडाने की कोशिश कर रहे हैं...
न्यूज नेशन के कैमरे पर इन युवाओं ने जो खुलासा किया उसने झकझोर कर रख दिया है..22 साल का एक युवा जो सिविल इंजीनियरिंग का स्टूडेंट है...इसने बताया कि जब वो 15 साल का था तब उसने दोस्तों के साथ ड्रग्स ली थी...और धीरे-धीरे वो इस दलदल में फंसता चला गया...इंजेक्शन से ड्रग्स लेने की वजह से HIV positive भी हो गया...
युवक ने खुलासा किया है कि त्रिपुरा में युवाओं को पेडलर ड्रग्स सप्लाई करते हैं. ड्रग्स पेडलर स्कूली छात्रों को टारगेट बनाते हैं...ड्रग्स की एक छोटी डिब्बी 40 से 50 रुपये में मिलती है...कोविड के दौरान ड्रग्स 200 से 300 रूपये में मिलती थी...ड्रग्स पेडलर बदलते रहते हैं...एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं...ताकि उनकी पहचान ना हो सके....
((बाइट-- पहला शख्स, 40 रूपये में मिलती थी...पेडलर बदलता है...हम जाते थे तो पता चलता था वहां मिलेगी))
सबसे बडी बात कि त्रिपुरा की कई अच्छी और पढी लिखी फैमिली के बच्चे भी ड्रग्स के इस जाल में फंस चुके हैं..इसी युवक के पिता स्कूल के Principal थे और मां दुबई में आर्किटेक्ट इंजीनियर है...सिर्फ एक गलती इसकी जिंदगी पर भारी पड गई...
((बाइट-- पहला शख्स, बैड कंपनी से लिया था..छोड़ने की कोशिश कर रहा हूं...))
इसी तरह एक 23 साल का ये युवक भी ड्रग्स के जाल में फंसकर HIV का शिकार हो गया और अब जिंदगी की जंग लड रहा है...इसके मुताबिक शहर में ड्रग्स मिलना आसान है..और जिस ड्रग्स को वो लेता था उसे स्थानीय भाषा में कोटा कहा जाता है...
((बाइट-- दूसरा शख्स, 4 साल से ड्रग्स ले रहा हूं...))
इस य़ुवक ने भी खुलासा किया है कि वो रोजाना 60 रुपये में ड्रग्स खरीदता था...ड्रग्स लेने के लिए घूम घूमकर पेडलर को युवा खोजते हैं...क्योंकि इंजेक्शन से ड्रग्स लेना ज्यादा असर दिखाता है इसलिए लिया जाता है...मगर इंजेक्शन से लिए ड्रग्स से HIV पॉजिटिव हो गया...
((बाइट-- दूसरा शख्स, पेडलर को घूमकर खोजते हैं....60 रूपये में खरीदते हैं...))
त्रिपुरा में ऐसे ही ना जाने कितने युवा है जो ड्रग्स के जाल में फंसकर इस तरह से बीमारी का शिकार हो गए हैं...युवाओं को इस दलदल से निकालने के लिए जिसने इस रिहैबिलिटेशन सेंटर को शुरू किया है वो खुद इसके शिकार रह चुका है...लेकिन अब युवाओं को सही राह दिखा रहा है...
((बाइट-- तीसरे शख्स की...युवाओं को ड्रग्स की आदत से बाहर निकालने वाली))
त्रिपुरा में ड्रग्स और HIV का ये कॉकटेल युवाओं की जिंदगी कैसे छीन रहा है...आखिर कहां से ड्रग्स त्रिपुरा पहुंच रहा है तो खुलासा हुआ है कि
नॉर्थ ईस्ट म्यांमार से हेरोइन और एम्फेटामाइन की तस्करी होती है...ड्रग्स पहले मिजोरम बॉर्डर से आता है और फिर त्रिपुरा और असम में सप्लाई होता है...म्यांमार से हर रोज कई सौ करोड़ रुपये की ड्रग्स की तस्करी की जाती है..
पता चला है कि नॉर्थ ईस्ट में ड्रग्स माफिया को सप्लाई के लिए दूसरे देशों से भारी मात्रा में पैसा मिलता है...और नॉर्थ इस्ट के ड्रग्स कारोबार के लिए गोल्डन ट्राएंगल शब्द का इस्तेमाल होता है जो मूल रूप से म्यांमार, लाओस और थाईलैंड से जुडा है....
अब त्रिपुरा में ड्रग्स और HIV संक्रमण पर लगाम लगाने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है...स्कूलों-क़ॉलेजों में हर हफ्ते HIV संक्रमण पर जागरूकता कार्यक्रम के साथ-साथ युवाओं को ड्रग्स के दलदल से बाहर निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है...
Source : News Nation Bureau