जम्मूः रघुनाथ मंदिर समेत कई अन्य धार्मिक स्थलों को उड़ाना चाहता थे आतंकी

जम्मू  मेंIED रिकवरी मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पहले पकड़े गए आतंकी नदीम से पूछताछ के बाद 2 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पकड़े गए लोगों के नाम नदीम अयूब राथर और तालिब उर रहमान जो शोपियां और बनिहाल के रहने वाले हैं.

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Kuldeep Singh
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जम्मू IED रिकवरी मामले में मिली बड़ी कामयाबी, दो लोग गिरफ्तार( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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जम्मू  में IED रिकवरी मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पहले पकड़े गए आतंकी नदीम से पूछताछ के बाद 2 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पकड़े गए लोगों के नाम नदीम अयूब राथर और तालिब उर रहमान जो शोपियां और बनिहाल के रहने वाले हैं. पुलिस की जांच में इन लोगों ने खुलासा किया है कि इन्होंने अपने हैंडलर के कहना पर बनिहाल में IED ब्लास्ट करने की योजना बनाई थी. इनके टारगेट पर जम्मू के धार्मिक स्थल थे. नदीम को पुलिस ने जम्मू के नरवाल इलाके से उसी दिन गिरफ्तार किया था जिस दिन एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमला हुए था. 

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जांच में खुलासा हुआ है कि टीआरएफ का आतंकी नदीम-उल-हक जम्मू के रघुनाथ मंदिर समेत कई अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को उड़ाना चाहता था. बनिहाल से जम्मू पहुंचे नदीम को शोपियां और पीओके में बैठे टीआरएफ के हैंडलरों ने यह टास्क दिया था. उसे बताया गया था कि जम्मू पहुंचकर उसको आईईडी मिल जाएगी और इसके बाद वह इसे धार्मिक स्थलों पर लगाकर धमाके करेगा. नदीम से हो रही पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है. हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है. बता दें पुलिस ने खुद कहा था कि नदीम शहर में कई प्रमुख स्थानों पर आईईडी से धमाके करने की फिराक में था. लेकिन समय रहते ही उसे दबोच लिया गया. वहीं पुलिस यह भी पता लगा रही है कि आखिर वो कौन शख्स था, जिसने नदीम को आईईडी से भरा बैग दिया है. इसका सुराग हाथ नहीं लग पा रहा है. पुलिस ने कई जगहों की सीसीटीवी फुटेज ली है.

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आतंकी संगठनों द्वारा रची जा रही साजिश के मद्देनजर जम्मू प्रांत में सभी प्रमुख धर्मस्थलों की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया गया है. उल्लेखनीय है कि जम्मू के विश्वविख्यात रघुनाथ मंदिर पर पहले भी दो बार आतंकी हमला कर चुके हैं. नदीम को पाकिस्तान में बैठे टीआरएफ कमांडर उमर खालिद और रिहान ने जम्मू में बम धमाकों का जिम्मा सौंपा था. अगर वह निर्धारित जगह पर आइईडी धमाके में कामयाब रहता तो उसे न सिर्फ टीआरएफ में कमांडर का दर्जा दिया जाता, बल्कि दो लाख रुपये का नकद इनाम भी मिलता. वह वॉट्सऐप और इंटरनेट मीडिया के जरिए कश्मीर में और गुलाम कश्मीर बैठे आतंकी कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में था.

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