सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई जीतने के बाद 39 महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन का अधिकार प्राप्त हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि इन महिला सैन्य अधिकारियों को उनकी नई सेवा का दर्जा सात दिनों के भीतर प्रदान किया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 25 अन्य महिला अफसरों को स्थायी कमीशन ना देने के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का भी केंद्र सरकार को निर्देश दिया है. इस आदेश से पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सेना से अपने स्तर पर इस मामले को सुलझाने को लेकर कहा था.
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स्थायी कमीशन का अर्थ सेना में सेवानिवृत्ति तक करियर है, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 साल के लिए है, जिसमें 10 साल के अंत में स्थायी कमीशन छोड़ने या चुनने का विकल्प होता है. यदि किसी अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं मिलता है, तो अधिकारी चार साल का एक्सटेंशन का चयन कर सकता है. कुल 71 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी हैं, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया था. जिन महिला अफसरों को इससे वंचित कर दिया गया था वे सभी स्थायी कमीशन की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थीं. केंद्र ने अदालत को बताया था कि 71 अधिकारियों में से 39 को स्थायी कमीशन के लिए योग्य पाया गया था जिनमें सात चिकित्सकीय रूप से फिट नहीं थे जबकि 25 के खिलाफ अनुशासन संबंधी मामले थे.
स्थायी कमीशन से ये मिलेगा फायदा
अब इन महिलाएं ज्यादा वक्त तक सेना में काम कर सकेंगी और उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी. स्थाई कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी.
HIGHLIGHTS
- 39 महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्राप्त हुआ
- नई सेवा का दर्जा सात दिनों के भीतर प्रदान करने का आदेश
- 25 अन्य महिला अफसरों के बारे में भी केंद्र को दिया निर्देश