बिहार के एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव के परिणाम में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से बड़ा झटका मिला है।
पिछले साल अगस्त में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए उपचुनाव का परिणाम जनता के स्पष्ट रुख को बयां करता है।
महागठबंधन से निकलने के बाद नीतीश कुमार का यह पहला चुनावी मुकाबला था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी।
अररिया लोकसभा उपचुनाव सत्ताधारी जेडीयू और बीजेपी गठबंधन के लिए 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा था, जिसमें वे पूरी तरह फेल हो चुके हैं।
वहीं आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद पार्टी को लीड कर रहे उनके बेटे तेजस्वी यादव अपनी पहली परीक्षा में सफल हुए हैं। तेजस्वी ने उपचुनाव से पहले नीतीश कुमार को सीधे तौर पर चुनौती दी है।
तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार ने कुर्सी के लिए बिहार के विशेष दर्जे को भी ठुकरा दिया था।
आरजेडी ने अररिया लोकसभा में 61,988 वोटों से जबरदस्त जीत हासिल की, और अपनी सीट बचाने में कामयाब रही। इससे पहले 2014 लोकसभा चुनाव में मोहम्मद तसलीमुद्दीन ने प्रदीप सिंह को ही बड़े अंतर से हराया था।
जहानाबाद विधानसभा में भी आरजेडी को 35,036 वोटों से जीत मिली। जहानाबाद में आरजेडी के उम्मीदवार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव ने जेडीयू के उम्मीदवार अभिराम शर्मा को हराया।
अभिराम शर्मा 2010 विधानसभा में यहां से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2015 में महागठबंधन होने के बाद आरजेडी के मुंद्रिका यादव ने जीत दर्ज की थी।
हालांकि भभुआ विधानसभा सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार रिंकी रानी पांडेय को जीत मिली। रिंकी पांडेय ने कांग्रेस प्रत्याशी शंभू नाथ सिंह पटेल को 12,316 वोटों से हरा दिया।
बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडे के निधन के बाद भभुआ सीट खाली हुई थी।
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Source : News Nation Bureau