बिहार में बाढ़ का तांडव अब भी जारी है. बाढ़ से मरने वालों का आक्ड़ा बढ़ता ही जा रहा है. बाढ़ से मरने वालों की संख्या 92 हो गयी है. 12 जिला जिसमे शिवहर, सीतामढी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, कटिहार के 102 प्रखंडो के 1107 पंचायत में बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है. 66.76 लाख की आबादी में बाढ़ की चपेट में 13 लाख 20 हजार परिवार इससे प्रभावित हैं. 131 राहत शिविरों में 1 लाख 14 हजार 721 लोग रहने को विवश हैं. विस्थापित हो रहे लोगों के लिए 1032 सामुदायिक रसोई चलाई जा रही है. शुक्रवार को भी बाढ़ के पानी में डूबने से कई लोगों की मौत की खबर अलग-अलग जिलों से आई.
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मुजफ्फरपुर में 5 और दरभंगा में 2 सगी बहन समेत 3 की मौत हो गयी. अररिया में 7 तो सुपौल में 4 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई. मोतिहारी में 5 बच्चों समेत 6 लोगों की मौत पानी में डूबने से हो गई. इधर सरकार ने बाढ़ पीड़ित हर परिवार को छह 6 हजार रुपय देने की शुरुआत कर दी है.
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बाढ़ पीडितों के खातों में भेजे गए 181.39 करोड़ रुपय. कुछ इलाकों से पानी निकला मगर उन बस्तियों में चुनौती वहां की सफाई के साथ वहां हुई बर्बादी को ठीक करने की है. परेशानी ये की अब बूढ़ी गंडक नदी का पानी बढ्ने से दुसरे इलाकों में भी बाढ़ का असर दिखने लगा है. लोग जान बचा सडकों पर शरण ले रहे हैं. मौतों की एक बड़ी वजह पानी की गहराई का आकलन नहीं हो पाना भी है. ग्रामीण गांव के आसपास फैले पानी मे ये तय नहीं कर पा रहे कहां किस गहराई का पानी है. इस कारण बच्चों की मौत ज्यादा हो रही है. गहरे गड्ढे में भरे पानी से गड्ढों और नदी के किनारों की गहराई का पता नहीं चल पा रहा है. अब दोहरी चुनौती ये की जहां बाढ़ का पानी फैल रहा वहां के लोग सुरक्षित कैसे रहे और जहां पानी निकला वहां जिन्दगी पटरी पर कैसे लौटे.
Source : Rajnish