चीन और भारत की कुल आबादी 2.7 अरब के पार हो गई है, जिनकी जीडीपी पूरी दुनिया का पांचवां हिस्सा है. आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में चीन-भारत द्विपक्षीय व्यापार एक खरब अमेरिकी डॉलर के करीब पहुंच गई. चीन लंबे समय तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है.
भारत भी चीन का दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. चीनी राज्य परिषद का विकास एवं अनुसंधान केंद्र-राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था की पांचवीं वार्ता चीन के वुहान में आयोजित हुई. इस दौरान चीन और भारत के करीब 50 प्रतिनिधियों ने चीन-भारत संबंधों, सहयोग और भविष्य पर विचार-विमर्श किया.
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चीनी प्रतिनिधि ने कहा कि अब दुनिया की स्थिति में बड़ा बदलाव हो रहा है, वैश्वीकरण विरोधी प्रवृत्ति बढ़ रही है और आर्थिक व व्यापारिक तनाव भी गंभीर हो रहा है. इसके तहत चीन और भारत में तेज आर्थिक वृद्धि और सामाजिक स्थिरता की आवश्यकता है. इसलिए चीन और भारत को बेहतर भविष्य के सह-निर्माण के लिए सहयोग को मजबूत करना चाहिए, जो एशिया में समृद्धि व शांति और वैश्विक आर्थिक स्थिरता व वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार की मांग है.
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भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि गत नवंबर में मुंबई में हुई चौथी वार्ता के बाद चीन और भारत के बीच व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ रहा है. अब भारत में बिजनेस शुरू करने वाले उद्यमों की संख्या बहुत बड़ी है. जो चीनी निवेशकों के लिए एक अच्छा मौका है.