संसद के शीतकालीन सत्र नहीं चलने से कई वरिष्ठ सांसद मायूस हैं। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी मुखर रूप से सदन नहीं चलने को लेकर नाराजगी जता चुके हैं वहीं कई अन्य सांसद हैं जो दबी जुबान से शीतकालीन सत्र के नहीं चलने पर नाराजगी जताई है। इस बीच उड़ीसा बीजू जनता दल (बीजेडी) के सांसद बिजयंत जय पांडा ने अपना वेतन नहीं लेने की पेशकश की है।
उड़ीसा के केंद्रापारा से सांसद पांडा ने संसद की शीतकालीन सत्र के ठप रहने के बाद अपना वेतन लौटाने की बात की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'संसद ना चलने से जो समय का नुकसान हुआ है उसके मद्देनजर मैं हमेशा की तरह अपने वेतन को लौटाने की पेशकश करता हूं।'
उन्होंने कहा, लोकसभा की कार्यवाही का जितना हिस्सा हंगामें की भेंट चढ़ता है, उसी अनुपात में वह अपने वेतन और भत्तों को लौटा देते हैं।'
16 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर तक चले संसद की शीतकालीन सत्र नोटबंदी की वजह से ज्यादातर समय बाधित रही। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, शीतकालीन सत्र में लोकसभा में 15 प्रतिशत और राज्यसभा में 17 प्रतिशत ही काम हो सका है। मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान संसद में सबसे कम काम हुआ।
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HIGHLIGHTS
- संसद के शीतकालीन सत्र नहीं चलने से कई सांसद नाराज
- बीजेपी सांसद बिजयंत जय पांडा ने सैलरी नहीं लेने की पेशकश की
- शीतकालीन सत्र में मात्र 15% और राज्यसभा में 17% हुआ काम
Source : News Nation Bureau