महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में बीजेपी के विधायक और सांसद टॉप पर, आरोपियों को टिकट देने में भी आगे

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 1580 सांसदों और विधायकों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 48 ऐसे हैं जिन पर महिलाओं विरोधी अपराध के मामले भी शामिल हैं।

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Vineeta Mandal
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महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में बीजेपी के विधायक और सांसद टॉप पर, आरोपियों को टिकट देने में भी आगे

1580 सांसद, विधायक पर अपराधिक मामले दर्ज (फोटो-ANI)

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में बीजेपी के सांसदों और विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 1580 सांसदों और विधायकों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 48 ऐसे हैं जिन पर महिलाओं विरोधी अपराध के मामले भी शामिल हैं।

इन महिला विरोधी अपराध वाले 48 सांसदों/विधायकों में से 45 विधायक हैं और 3 सांसद हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि पार्टी के आधार पर बीजेपी के सांसदों, विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा (12) है। इसके बाद शिवसेना (7) और तृणमूल कांग्रेस (6) आते हैं।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने पिछले 5 सालों में कितने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दी है जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुकदमे दर्ज हैं।

इस लिस्ट में भी बीजेपी 47 उम्मीदवारों के साथ टॉप पर है। बीएसपी ने 35 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए तो कांग्रेस ने 24 उम्मीदवारों को टिकट दिए थे।

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महिलाओं के खिलाफ अपराध वाले 12 विधायकों और सांसदों के साथ महाराषट्र इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। इसके बाद बंगाल है। वहीं इस तरह के केस वाले 5-5 सांसद, विधायक आंध्र प्रदेश और ओडिशा के हैं।

पिछले 5 साल में मान्यता प्राप्त दलों ने 26 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जिन्होंने अपने हलफनामे में खुद पर बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की थी।

वहीं पिछले 5 साल में बलात्कार से संबंधित घोषित मामलों वाले 14 निर्दलीय उम्मीदवारों ने लोकसभा/राज्य सभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव लड़ा है।

एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) ने सिफारिश की है कि गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक हो। साथ ही राजनीतिक दल उस मानदंड का खुलासा करे जिसके आधार पर उम्मीदवारों को टिकट दिए जाते है। 

सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई तेज की जाए और उनमें समयबद्ध तरीके से फैसला हो।

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Source : News Nation Bureau

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