राज्य की विधानसभाओं में अपनी मजबूत संख्या के दम पर भाजपा को उम्मीद है कि वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आगामी राज्यसभा चुनावों में 11 में से 10 सीट जीत लेगी. उप्र की 10 और उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के लिए 9 नवंबर को चुनाव होना है. इनमें से एक नाम केंद्रीय शहरी विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी का तय हो चुका है. उन्हें 2018 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव में निर्विरोध चुना गया था और अब उनका कार्यकाल 25 नवंबर को समाप्त हो रहा है.
दूसरा नाम भाजपा नेता अरुण सिंह का हो सकता है, उनका कार्यकाल भी खत्म होने वाला है. वे अमित शाह की टीम में महासचिव थे और अब नई टीम में भी हैं. दिल्ली के एक भाजपा पदाधिकारी ने कहा, सिंह ने अपने संगठनात्मक कर्तव्यों को बहुत अच्छे से निभाया है. नेतृत्व को उन पर भरोसा है, इसलिए उनको फिर से नामांकित करने की पूरी उम्मीद है.
अगला नाम नीरज शेखर का माना जा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर के बेटे शेखर ने भाजपा में शामिल होने के लिए अपनी राज्यसभा सीट छोड़ी और समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़ी. भाजपा में आते ही उन पर शीर्ष नेता की मुहर लग गई थी क्योंकि उन्हें तुरंत ही प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मिलने का मौका मिला था. ऐसे में उप्र राज्यसभा चुनाव में उनका मैदान में उतारा जाना संभव है.
एक और नाम जो सामने आया है, वह है भाजपा की उप्र इकाई के पूर्व राज्य प्रमुख लक्ष्मी कांत बाजपेयी का. भाजपा के सूत्रों ने उन्हें राज्य में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 'कड़ी मेहनत' करने का श्रेय दिया. 4 बार मेरठ से विधायक रहे बाजपेयी ने राज्य में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन खुद वह मेरठ की सीट से हार गए थे. हाल ही में पार्टी महासचिव के पद से हटाए गए राम माधव को लेकर अटकलें हैं कि उन्हें उच्च सदन की उम्मीदवारी मिल सकती है, ताकि उन्हें कैबिनेट के अगले फेरबदल में समायोजित किया जा सके. वैसे इसकी ना तो किसी भाजपा पदाधिकारी ने पुष्टि की और न खंडन किया.
25 नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे राज्यसभा सदस्यों में चंद्रपाल सिंह यादव, जावेद अली, रवि प्रकाश वर्मा, राम गोपाल यादव (सभी समाजवादी पार्टी से), वीर सिंह और राजाराम (बहुजन समाज पार्टी), राज बब्बर और पीएल पुनिया (दोनों कांग्रेस से), और नीरज शेखर, हरदीप सिंह पुरी, और अरुण सिंह (सभी भाजपा से) हैं. इनमें से केवल राज बब्बर उत्तराखंड से चुने गए थे जबकि बाकी सभी उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते थे. मौजूदा गणित को देखते हुए उत्तर प्रदेश में केवल समाजवादी पार्टी (सपा) एक सीट जीत सकती है. ऐसे में सपा यह सुनिश्चित करेगी कि राम गोपाल यादव उस सीट से जीतें.
Source : News Nation Bureau