उत्तर प्रदेश में चुनाव भले ही 8 मार्च को खत्म हो गए थे लेकिन बीजेपी के रणनीतिकार उसके बाद भी तमाम समीकरणों के गणित में उलझे रहे।
उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त जीत के बाद पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है। दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं और सबसे दिलचस्प यह कि शपथ ग्रहण समारोह लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में होगा।
इसका सीधा मतलब यह हर मोर्चे पर जाति समीकरण को फिट करने की कोशिश की गई है। ऐसा नहीं है पहले किसी राज्य में दो उपमुख्यमंत्री नहीं रहे हों। लेकिन जहां एक पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई है और इसके बावजूद उसे दो उपमुख्यमंत्री बनाने पड़े, तो इसके मायने कुछ और हैं।
एक तीर और कई शिकार
नतीजों के बाद बीजेपी ने अपने फैसलों से कई चीजों को एक साथ साधने की कोशिश की है। योगी आदित्यनाथ किस पृष्ठभूमि से आते हैं, उनकी छवि क्या है और वह किस विचारधारा के हैं, यह जगजाहिर है। बीजेपी ने योगी को आगे कर साफ किया है कि भले ही 'सबका साथ, सबका विकास' की बात हो रही है लेकिन वह हिंदुत्व का कार्ड खेलना जारी रखेगी।
योगी राजपूत हैं और उनकी छवि कट्टर हिंदुत्व की है। इसके जरिए बीजेपी ने 'हिंदुत्व विचारधारा' वालों को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। दिनेश शर्मा ब्राह्मण हैं जबकि मौर्य ओबीसी वर्ग से आते हैं।
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स्मृति उपवन में शपथ ग्रहण के मायने
इस शपथ ग्रहण से पार्टी की कोशिश कांशीराम का नाम भी खुद से जोड़ने की है। स्मृति उपवन का निर्माण उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 2007 में करवाया था। अभी तक यहां किसी भी मुख्यमंत्री ने शपथ नहीं ली है।
हालांकि, बीजेपी के मुताबिक शपथ ग्रहण में बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे और स्मृति उपवन इसके लिए उपयुक्त जगह है। इसलिए इसे चुना गया।
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Source : News Nation Bureau