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केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने आज मिशन शक्ति पर बीजेपी की ओर से बयान दिया. उन्होंने इस उपलब्धि को देश के लिए ऐतिहासिक कामयाबी बताया. यह बहुत समय पहले से हमारे वैज्ञानिकों की इच्छा रही थी और उनका कहना था उनके पास इसका कोई फॉर्मूला है, लेकिन भारत सरकार हमें अनुमति नहीं देती है. इस कारण हम इस ताकत को समर्थ करने में तत्पर नहीं हैं. अपने फेल्योर के लिए पीठ थपथपाने वालों को इसका ध्यान रखना चाहिए. यह पूरी प्रक्रिया 2014 में शुरू हुआ और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसकी मंजूरी दी.
जेटली ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसकी मंजूरी दी. हम उस जियो पॉलिटिकल व्यवस्था में हैं, जिसमें हमारी तैयारी ही हमें आगे ले जाएगी. आज जो यह हासिल हुआ है, जिसमें सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पूरी तरह इंडजेनस है. भारत के पास स्पेस पावर के रूप में जो यह शक्ति आई है, वह केवल अपनी सुरक्षा के लिए उपयोग होगा. भारत का उद्देश्य रहता है कि हमारा डिटरेंट बने, क्योंकि इस व्यवस्था में अपनी रक्षा करने की पूरी ताकत अपने पास हो.
बता दें कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने दावा किया था कि इस प्रक्रिया की शुरुआत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुई थी.
बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि सरकार में यह क्षमता नहीं होती थी कि वे इस कार्यक्रम को अनुमति दें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं. इस प्रकार की ताकत के साथ भारत की केवल शक्ति ही नहीं बढ़ेगी, हम क्षेत्र में शांति कायम रखें, इसके लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने इसकी अनुमति नहीं दी और वैज्ञानिकों को इसकी स्वतंत्रता नहीं दी. इसलिए कांग्रेसी मित्र अपनी पीठ न थपथपाएं. कांग्रेस को डीआरडीओ पर भरोसा नहीं था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन को अनुमति दी. बालाकोट और पुलवामा में ऐतिहासिक भूल के बाद इतिहास ने एक बड़ा अवसर दिया गलती सुधारने का. विपक्ष आज गलती सुधार सकता था. यहां हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय सुरक्षा की, जियो पॉलिटिकल सिचुएशन की और उनको चुनाव की ही पड़ी है. अरुण जेटली ने कहा- अब तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति न हो.
जेटली ने इस ताजा मामले पर हो रही राजनीतिक को गैरजरूरी करार देते हुए कहा कि हम इसे कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बना रहे हैं. मान लीजिए पुलवामा न हुआ होता और चुनाव न भी हो रहे होते और पीएम के पास आतंकवादियों को लेकर खबर आती तो भारत सरकार वहीं करती, जो आज उसने किया. अगर भारत सरकार चुनाव की वजह से इसे दबा जाती है तो यह देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि विपक्ष की राजनीति का स्तर गिर गया है.
Source : News Nation Bureau
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