बिहार के बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय को मोदी टीम में जगह मिलने की संभावना है. 2016 में बिहार बीजेपी की कमान संभालने वाले नित्यानंद राय अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. अमित शाह की तरह नित्यानंद भी मेहनत से काम करने के लिए जाने जाते हैं. बिहार में दो गुटों में बंटी बीजेपी को एक साथ ला दिया. इसके साथ ही बिहार में बीजेपी का जनाधार भी मजबूत किया. तभी तो बिहार में इस बार बीजेपी ने 17 सीट पर जीत हासिल की.
नित्यानंद राय की सियासी सफर 1981 में शुरू हुई. नित्यानंद ने हाजीपुर के राजनारायण कॉलेज में इंटर की पढ़ाई के दौरान संघ की शाखाओं में जाते थे. उन्होंने अपना सियासी सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता के रूप में शुरू की. नित्यानंद में शुरू से ही नेतृत्व में महारत हासिल थी. संघ ने नित्यानंद के प्रतिभा को आंकते हुए 1986 में उन्हें हाजीपुर का कार्यवाहक बना दिया. यहां से सही मायनों में नित्यानंद राय का सफर शुरू हुआ.
1990 में वो बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव बन गए. 1995-96 में युवा मोर्चा के महासचिव और फिर 1999 में युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने. इसके बाद उनके कदम थमे नहीं. 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में वो हाजीपुर सीट से जीत हासिल की. हाजिपुर सीट पर नित्यानंद राय ने 4 बार जीत हासिल की. नित्यानंद राय 2014 के लोकसभा चुनाव में उजियारपुर लोकसभा सीट से सांसद बने और इस बार भी उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को बड़े अंतर से इसी सीट से पराजित किया है.
नित्यानंद ने अपने ताकत का एहसास आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भी तब कराया जब वो लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा बिहार में रोकने की कोशिश कर रहे थे. 1990 में 23 साल के नित्यानंद राय ने महापंचायत बुलाकर लोगों का समर्थन जुटाया और हाजीपुर में आडवाणी की राम रथ को ना सिर्फ लाया, बल्कि यहां उनकी सभा भी कराई.
इसके बाद नित्यानंद की एक अलग पहचान बन गई. उनके जीवन में सबसे अहम पड़ाव उस वक्त आया जब 30 नवंबर, 2016 को तड़के बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल का फोन आया और उन्हें बिहार में बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. बिहार बीजेपी अध्यक्ष के बाद अब नित्यानंद मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने जा रहे हैं. उम्मीद है कि वो यहां भी अपनी सफलता का कारवां जारी रखेंगे.
Source : News Nation Bureau