दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के आयोजन में शामिल हुए कई सदस्यों के कोरोना का शिकार होने के बाद इस संस्था पर कार्रवाई की मांग उठने लगी है. बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी उपाध्याय ने कालाधन से तबलीगी जमात की गतिविधियां चलने का आरोप लगाते हुए मुखिया मौलाना साद की संपत्तियां जब्त करने की मांग की है. भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने ट्वीट कर कहा, 'जमात के मुखिया और आयोजकों का विदेशों में कनेक्शन है और इनके पास करोड़ों की नामी बेनामी चल अचल संपत्ति है. इसलिए इनके खिलाफ कालाधन बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कराना चाहिए। चरमंथी जमात पर पूर्णप्रतिबंध बहुत जरूरी है.'
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उपाध्याय ने आरोप लगाया कि सिमी औ पीएफआई की तरह जमात को भी हवाला के जरिये कालाधन मिलता है इसलिए ईडी और इनकम टैक्स विभाग को भी जांच शुरू करना चाहिए. जमाती सच नहीं बोलेंगे और मानवाधिकार के डर से पुलिस नहीं पीटेगी इसलिए नार्को पॉलीग्राफ ब्रेनमैपिंग कानून बनाना चाहिए.
उपाध्याय ने मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि यदि वर्तमान कानून नहीं बदला गया तो डॉक्टरों पर हमला करने वाले और जमात के मुखिया को अधिकतम 2 साल की सजा होगी। क्या यह पर्याप्त है? बलात्कारियों की तरह ही चरमपंथियों को भी आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तुरंत अध्यादेश लाना चाहिए.
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भाजपा नेता ने कहा कि आईपीसी 1860 में बना, पुलिस ऐक्ट 1861 में और एविडेंस एक्ट 1872 में बना. महामारी रोग का कानून भी 1897 का अब तक चला आ रहा है. ऐसे में मौजूदा कानूनों में समय के साथ बदलाव जरूरी है.