अयोध्या मामले के पक्षकार और बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (subramanian swamy) ने अयोध्या मामले में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अगर परस्पर समझौते से काम लेना था, तो सुनवाई खत्म होने से पहले मध्यस्थता पैनल के सामने ही यह राय रखनी चाहिए थी. अब भी अगर वह समझौता चाहते हैं तो वह सिर्फ अयोध्या पर संभव नहीं है. हमारी स्पष्ट मांग है कि इस्लाम के राज में देश में 40 हजार मंदिर तोड़े गए ,जिसमें से सिर्फ हमें 3 चाहिए. अयोध्या, काशी और मथुरा. इस पर अगर सुन्नी वक्त बोर्ड सहमत हो तो समझौता हो सकता है, अन्यथा नहीं.
अयोध्या से आसान होगा मथुरा, काशी का केस, इसी साल मैं दायर करूंगा याचिका
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जिस तरह अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि है वैसे ही मथुरा श्री कृष्ण की जन्मभूमि है, उस पर तो समझौता होने का सवाल ही नहीं उठता. जहां तक काशी की बात है तो वहां औरंगजेब के सामानों का लिखित प्रमाण हैं. उन्होंने जिस तरह से काशी विश्वनाथ में अपमान किया है. प्रमाणों के साथ इन दोनों स्थानों के लिए मैं जल्द ही न्यायालय में याचिका दायर करूंगा.
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हर हाल में निभाऊंगा, अशोक सिंघल से दिया वचन
विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल को मैंने वचन दिया था कि अयोध्या के साथ मथुरा और काशी का केस में लड़ लूंगा और जीत लूंगा. अयोध्या में फैसले आने के बाद मैं अपने इस वचन को पूरा करने का प्रयास करूंगा.
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आज बंद कमरे में होगी सुनवाई
अयोध्या (Ayodhya) की विवादित भूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 6 अगस्त से चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी होने के बाद संविधान पीठ (Constitutional Bench) गुरुवार को फिर से बंद कमरे में बैठेगी. बंद दरवाजे के पीछे होने वाली इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल (Mediation Panel) की रिपोर्ट को लेकर आगे के रास्ते पर विचार करेगा. वहीं कोर्ट सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Wqf Board) के दावा वापस लेने पर भी सुप्रीम कोर्ट चर्चा कर सकता है. बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट की सामग्री सार्वजनिक की जाए या नहीं.
संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद में सुनवाई पूरी करते हुए संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने को तीन दिन का समय दिया है. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.
छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक CJI रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं.
HIGHLIGHTS
- मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर के केस को लेकर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
- सुन्नी वक्फ बोर्ड से इन मंदिरों के बिना नहीं किया जाएगा कोई समझौता
- अयोध्या केस में मामला आने के बाद इसी साल दायर की जाएगी याचिका