बीजेपी की वरिष्ठ नेता, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार की रात निधन हो गया. वे 67 साल की थीं, उन्हें हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उन्हें बेहद ही नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान सुषमा स्वराज ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांसें लीं. सुषमा स्वराज को उनके लाजवाब व्यक्तित्व, शानदार नेतृत्व और प्रखर वक्ता के तौर पर दुनियाभर में पहचाना जाता है. सुषमा स्वराज के कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण ने पूरे देशवासियों के रोंगटे खड़े कर दिए थे.
सिर्फ संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण से ही नहीं बल्कि सुषमा जी ने संसद में दिए गए अपने कई भाषणों से विपक्ष को सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. बीजेपी की सीनियर नेता ने 11 जून 1996 को लोकसभा में दिए गए भाषण में धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के बीच फर्क समझाते हुए विरोधियों को आड़े हाथों लिया था. सुषमा ने विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाए कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता का बाना पहनकर बीजेपी पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया और एकजुट हो गए. सुषमा ने अपने जोरदार भाषण में कांग्रेस को 84 के दंगों के लिए घेर लिया और खूब लताड़ लगाई.
इतना ही नहीं सुषमा जी ने समाजवादी पार्टी पर भगवान श्रीराम के सेवकों के कत्लेआम के आरोप में जमकर हमला बोला. देश की पूर्व विदेशमंत्री ने अपने भाषण में वाम दलों की भी जमकर आलोचना की थी. सुषमा स्वराज ने वाम दलों पर हमला बोलते हुए कहा था कि चकमा शरणार्थी को भगाने वाले और घुसपैठियों को शरण देने वाले वामपंथी खुद को सेक्युलर बताते हैं. सुषमा जी ने कहा था कि हम हिंदू होने पर शर्म नहीं करते, इसलिए हमें सांप्रदायिक कहा जाता है.