बीजेपी ऑफिस में किसान आंदोलन को लेकर चल रही बीजेपी नेताओं की बैठक ख़त्म हो गई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में तय हुआ है की जाट समाज को ये बताना है की ये आंदोलन राजनीतिक है इसका किसानों से कोई लेना देना नहीं है यही मैसेज जाट समाज तक पहंचाना है. बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हरियाणा और यूपी के किसान नेताओं की मीटिंग हुई हैं. इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह के भी शामिल हुए है. बातचीत के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और संजीव बाल्यान भी मौजूद रहे. बैठक में किसान आंदोलन पर रणनीति बनाई गई. यह बैठक मंगलवार शाम साढ़े छह बजे बीजेपी मुख्यालय में हुई. बताया जा रहा है कि कई विधायक/सांसद भी इस मीटिंग में मौजूद रहें. बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है. वह तीनों कृषि कानूनों को काला कानून बता रहा है. साथ वापस लेने की मांग कर रहा है.
दरअसल, किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को ठंडा नहीं पड़ने देना चाहता. बॉर्डर पर लगे धरनों के लंबा खिंचने से आंदोलनकारी पीछे हटने न लगें, इसलिए धुर विरोधी किसान नेताओं ने हाथ मिला लिए हैं. उन्हें आंदोलन के बिखराव की आशंका थी. राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी व रतन मान सरीखे नेता हरियाणा में यूं ही एक मंच पर नहीं आए. उन्हें इस बात का बखूबी अहसास हो गया है कि अपनी डफली, अपना राग अलाप कर केंद्र सरकार से कोई भी मांग नहीं मनवाई जा सकती. चूंकि, सरकार ने भी सख्त रुख अपनाया है. संयुक्त किसान मोर्चा को अगले दौर की बातचीत के लिए अभी तक न्योता नहीं भेजा गया. इससे भी किसान नेताओं में अंदरखाने बेचैनी है, चूंकि डेडलॉक की स्थिति बन चुकी है.
अहम मुद्दा इस समय संघर्ष को सिरे चढ़ाना है, यह बात पुराने बुजुर्गों ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बड़े किसान नेताओं को समझाई है. भले ही उनके दिल आपस में मिलते हों या नहीं लेकिन जनता में साथ दिखना जरूरी है. यह बात बिना देरी के भाकियू हरियाणा के दोनों गुटों के अध्यक्षों गुरनाम चढूनी व रतन मान के दिमाग में भी बैठ गई. इसलिए न केवल उन्होंने करनाल जिले की महापंचायत में मंच सांझा किया, बल्कि आगे भी एकजुट दिखेंगे.
Source : News Nation Bureau