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महाराष्ट्र: भाजपा विधायक ने शरद पवार को कहा- शकुनि मामा, बोले- मराठा समुदाय को आरक्षण के नाम पर उन्होंने धोखा दिया

महाराष्ट्र में भाजपा विधायक बबनराव लोनिकर ने शरद पवार पर मराठा समुदाय को आरक्षण के नाम पर धोखा देने का आरोप लगाया. लोनिकर ने पवार को "शकुनि मामा" कहा.

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Publive Team
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BJP MLA

BJP MLA ( Photo Credit : Social Media)

महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनावों में भी मराठा आंदोलन एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है. इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक बबनराव लोनिकर ने रांकपा-एसपी प्रमुख पर आरक्षण के नाम पर मराठा समुदाय के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया. लोनिकर बुधवार को जालना के पर्तुर में कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने शरद पवार पर निशाना साधा. बैठक के दौरान लोनिकार ने पवार को शकुनि मामा कहकर संबोधित किया. 

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लोनिकर ने कहा कि शरद पवार ने मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया. उन्होंने लोगों को दिखाई दी है. 2018 में भाजपा ने मराठाओं को आरक्षण दिया पर सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को रद्द कर दिया. पवार ने कहा था कि ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने सर्वोच्च अदालत में इस केस को लड़ने के लिए कपिल सिब्बल को नियुक्त किया था. सिब्बल के कारण मामले में राज्य सरकार को अस्वीकृति का सामना करना पड़ा था. लोनिकर ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में महाराष्ट्र के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग अधिनियम को भी रद्द कर दिया. मराठा समुदाय को इसी अधिनियम के तहत आरक्षण दिया गया था. 

बता दें, सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठा समुदाय को वर्तमान में ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. आरक्षण के मुद्दे पर प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी राज्य के कुछ हिस्सों में 25 जुलाई को जनयात्रा निकालेगी.  

कौन है मनोज जरांगे

मनोज जरांगे मराठा आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं. वे मूलत बीड जिले के मटोरी गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. कमाई के लिए वे बीड से जालना आए थे. इस दौरान उन्होंने एक होटल में वेटर के रूप में काम किया. होटल में काम करने के साथ-साथ वे सामाजिक कार्यों में भी शामिल रहते थे. 2014 में सबसे पहले उनके ओर ध्यान गया, जब उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर में डिविजनल कमिश्नरेट के खिलाफ मार्च निकाला. 2015 से 2023 के बीच जरांगे ने 30 से अधिक आंदोलन किए. 2021 में उन्होंने जालना के साष्टा पिंपलगांव में 90 दिनों की हड़ताल की थी. कहा जाता है कि जरांगे की आर्थिक स्थिति खास नहीं है. वह अपने जीवन को मराठा समुदाय के लिए समर्पित कर चुके हैं. उनके पास मात्र चार एकड़ जमीन थी. इसमें से दो एकड़ जमीन उन्होंने मराठा समुदाय आंदोलन के कारण बेच दी थी.

Source : News Nation Bureau

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