Advertisment

आर्थिक सुस्ती पर BJP सांसद का विवादित बयान, कहा- GDP कोई बाइबिल-रामायण नहीं

सरकार की डूबती आर्थिक व्यवस्था के बीच सरकार के अपने नेता भी अपनी बयान बाजियों से सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं.

author-image
Ravindra Singh
New Update
आर्थिक सुस्ती पर BJP सांसद का विवादित बयान, कहा- GDP कोई बाइबिल-रामायण नहीं

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

शुक्रवार को जारी हुई जीडीपी रिपोर्ट (GDP Report) के बाद देश की आर्थिक व्यवस्था का खस्ताहालत दिखाई देने लगी है. इस आर्थिक सुस्ती की वजह से एक ओर जहां सरकार को उद्योगपतियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं सरकार के अपने नेता भी अपनी बयान बाजियों से सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान BJP सांसद निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey) ने देश के सकल घरेलु उत्पाद (GDP) कम होने का बचाव करते हुए विवादित बयान दे डाला.

सोमवार को लोकसभा में NSSO द्वारा जारी किए गए हालिया GDP आंकड़ों पर चर्चा हो रही थी कि तभी भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि 'जीडीपी 1934 में आया, इससे पहले कोई जीडीपी नहीं था, केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और भविष्य में जीडीपी का कोई बहुत ज्यादा उपयोग भी नहीं होगा.' आपको बता दें कि जब देश की जीडीपी पिछले 6 सालों में सबसे न्यूनतम दौर में गुजर रही हो तब सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से ऐसा बयान आना पार्टी और सरकार के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी कर सकता है.

यह भी पढ़ें-केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया 'क्रीमी लेयर' की अवधारणा एससी/एसटी पर लागू नहीं 

दूबे ने आगे कहा कि 'आज की नई थ्योरी है कि सतत आर्थिक कल्याण आम आदमी का हो रहा है की नहीं हो रहा है. जीडीपी से ज्यादा जरूरी है कि सतत विकास हो रहा है कि नहीं हो रहा है.' सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था नरमी के दलदल में फंसी हुई है. शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी. यह छह साल का न्यूनतम स्तर है.

यह भी पढ़ें-पश्चिम बंगाल के बाद अब दक्षिण भारत के इस राजनीतिक दल के खेवनहार बनेंगे प्रशांत किशोर

एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी. वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है. उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही.

यह भी पढ़ें- अगस्ता वेस्टलैंड मनी लांड्रिंग मामले में बिजनेसमैन रतुल पुरी को मिली जमानत

अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत घटा उत्पादन
वहीं दूसरी तरफ आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत घट गया. आपको बता दें कि यह गिरावट साल 2005 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब से एक साल पहले साल 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वहीं चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी. जीडीपी वृद्धि में गिरावट की बड़ी वजह विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन में 1 प्रतिशत की गिरावट का आना है. वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है. उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी. यह लगातार छठी तिमाही तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है, साल 2012 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

GDP BJP MP Nishikant Dubey GDP is not Ramayan-Bible Slowdown in Economy
Advertisment
Advertisment