जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता ने नए राजनीतिक समीकरण की तरफ इशारा किया है।
बुधवार को मीडिया से बात करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि राज्य में जल्द कोई सरकार बनने जा रही है। अनिश्चितता हमेशा बनी हुई है लेकिन हमलोग कुछ कर रहे हैं। जल्द ही आम लोगों को भी इसके बारे में पता चल जाएगा।'
वहीं एनसी (नेशनल कॉफ्रेंस) नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने पूर्व उप मुख्यमंत्री के बयान पर निशाना साधते कहा कि कहीं अनजाने में उन्होंने किसी राज़ से पर्दा तो नहीं हटा दिया।
उमर अब्दुल्ला ने पूर्व उप मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, "हम लोग कुछ कर रहे हैं? इस 'कुछ' का मतलब केवल यही हो सकता है कि वो पार्टी तोड़कर पर्याप्त संख्या जुटाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि सरकार बनाई जा सके। क्या उन्होंने अंजाने में राज़ से पर्दा उठा दिया है।"
अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा भंग कर नए चुनाव की रूप रेखा तैयार की जानी चाहिए। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने ख़ुद स्वीकार किया है कि सरकार बनाने के लिए ख़रीद-फरोख़्त हो सकती है, बीजेपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि मंगलवार को बीजेपी ने अचानक ही पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना इस्तीफ़ा पत्र सौंप दिया।
जिसके बाद बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल को तत्काल प्रभाव से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी दी।
अब तक ऐसा लग रहा था कि पर्याप्त संख्या नहीं होने की वजह से राज्य में सरकार बनाने को लेकर कोई पार्टी आगे नहीं आएगी लेकिन बुधवार को बीजेपी के इस बयान के बाद अचानक ही सियासी घमासान शुरू हो गया है।
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कुल 87 विधानसभा सीट है। जिनमें से 28 पीडीपी, 25 बीजेपी, 15 एनसी और 12 कांग्रेस के पास है।
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को राज्यापाल से मुलाक़ात कर जम्मू एवं कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग की।
उन्होंने कहा, 'आज (मंगलवार) अचानक करीब 2.30 बजे खबर आई कि बीजेपी ने पीडीपी के साथ अपने सियासी रिश्ते तोड़ दिए हैं।'
उन्होंने कहा, 'मैंने थोड़ी देर पहले राज्यपाल से मुलाकात की। मैंने राज्यपाल से कहा कि 2014 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के पास सरकार बनाने का जनादेश नहीं था और आज भी हमारे पास जनादेश नहीं है।'
पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, 'हम से किसी ने संपर्क नहीं किया है और हमने भी किसी पार्टी से राज्य में सरकार बनाने के लिए संपर्क नहीं किया है।'
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उन्होंने कहा, 'राज्यपाल के पास राज्यपाल शासन लगाने और स्थिति में सुधार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, ताकि नए चुनाव के बाद राज्य में एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जा सके।'
Source : News Nation Bureau